इलाहाबाद: इलाहाबाद में दो बूचड़खानों को बंद कर दिया गया है. इनके बंद होने को सरकार की कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि प्रशासन का कहना है कि तय मानकों और लाइसेंस के बिना ये बूचड़खाने चल रहे थे और चुनावी रैलियों में दिए गए बयानों से साफ था कि यूपी के अवैध बूचड़खानों को बंद करवाना बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) सरकार के एजेंडे में जरूर रहेगा.


ये बूचड़खाना इलाहाबाद के अटाला में चल रहा था. इसे नगर निगम ने बंद कर दिया है. हालांकि प्रशासन का कहना है कि इसे दस महीने पहले ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश के बाद बंद कर दिया गया था लेकिन कुछ दबंग जबरन ताला तोड़कर काम शुरू कर देते थे. उन्होंने आगे बताया कि अटाला स्लॉटर हाउस में बीच-बीच में दिक्कत आती रहती थी. कुछ लोग ज़ोर जबरदस्ती किया करते थे. ऐसा तब भी हुआ था जिसके खिलाफ प्रशासन ने कार्रवाई करके इस काम को अंजाम दिया. प्रशासन का कहना है कि ये वहां का रूटीन प्रोसेस था. इसमें ऐसी कोई नयी बात नहीं हुई है. बताया गया कि 17 मई से दोनों स्लॉटर हाउस बंद हैं.


करीब 75 हजार लोग हैं जो इस स्लॉटर हाउस से जुड़े हुए हैं. जिनकी आजीविका इस स्लॉटर हाउस से चलती है. उनका कहना है कि या तो सरकार उन्हें कोई दूसरा रोज़गार दे या फिर उनकी जो आजीविका है उससे इस तरह से खिलवाड़ ना करे. यूपी में फिलहाल करीब 356 बूचड़खाने हैं. जिनमें से सिर्फ 40 ही वैध हैं. दो साल पहले एनजीटी ने अवैध बूचड़खानों पर बैन लगा दिया था. बूचड़खाने बंद होने से राज्य को सालाना 11 हजार 350 करोड़ का नुकसान होगा.


उधर अमरोहा में भी प्रशासन हरकत में नज़र आया. गजरौला इलाके में नगर पालिका की टीम ने अवैध मीट दुकानों को बंद कराया. कार्रवाई के दौरान पुलिस और नगर निगम के कर्मचारियों को लोगों के विरोध का सामना भी करना पड़ा. अवैध बूचड़खानों और मीट दुकानों के खिलाफ ये नियमित कार्रवाई थी पर लोग इसे नयी सरकार से जोड़ कर देख रहे हैं.