NDRF Team: सिक्किम में मंगलवार (03 अक्टूबर) की देर रात अचानक बादल फटने के बाद भयंकर बाढ़ आ गई. जिसमें अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है और 98 लोग लापता हैं. राज्य सरकार ने बुधवार (04 अक्टूबर) को केंद्र सरकार को सूचना दी और एक आदेश जारी हुआ जिसके मुताबिक शुक्रवार (06 अक्टूबर) को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की एक टीम उन सुरंगों में जाएगी जहां पर लोग फंसे हुए हैं.


ये टीम उत्तरी सिक्किम के चुंगथांग जाएगी जिसके सामने एक कठिन चुनौती है कि पिछले 48 घंटों से बिना खाना पानी या किसी संभावित निकास के ये लोग सुरंगों में फंसे हैं. इन्हें बचाने के लिए अभियान चलाया जाएगा. कोई नहीं जानता कि इन सुरंगों में पानी भरा है या नहीं, सुरंगों में फंसे लोग जिंदा हैं भी या नहीं.


सिक्किम के मुख्य सचिव विजय भूषण पाठक ने कहा, "चेकपोस्ट के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, लाचेन और लाचुंग में लगभग 3000 लोग फंसे हुए हैं. 700-800 ड्राइवर वहां फंसे हुए हैं. मोटरसाइकिलों से वहां गए 3150 लोग भी वहां फंस गए हैं. हम सेना और वायु सेना के हेलीकॉप्टरों से सभी को निकालेंगे. सेना ने लाचेन और लाचुंग में फंसे लोगों को इंटरनेट पर उनके परिवारों से बात कराई.''


एनडीआरएफ की टीम के सामने होगी ये चुनौती


हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चूंकि एनडीआरएफ टीम के लिए ये काम इतना आसान नहीं होने वाला है. वो ऐसी जगह पर जा रही है जिसके बारे में उसे कुछ नहीं पता. टीम पूरी तरह से अनजान है. इस टीम में लैंड रेस्क्यूर्स और स्कूबा डाइवर्स शामिल होंगे. इनके पास हथौड़े, वाटर गन, रॉक कटर, सैटेलाइट फोन, जेनरेटर सेट और मेडिकल उपकरण होंगे.


ये रेस्क्यू ऑपरेशन कुछ मायनों में थाईलैंड के उस बचाव अभियान की याद दिलाएगा जो साल 2018 में चलाया गया था. इसमें गोताखोरों ने 13 लोगों को बचाया था जो लगभग 6 दिनों तक बाढ़ वाली गुफा में फंसे हुए थे.


बुधवार को आई अचानक बाढ़ ने चुंगथांग शहर को सिक्किम के बाकी हिस्सों से काट दिया है. बिजली की लाइनें टूट गईं, सेल टावर बर्बाद हो गए, पुल नष्ट हो गए और सड़कें बह गईं. कोई कनेक्टिविटी न होने की वजह से फंसे हुए लोगों के बारे में कोई जानकारी भी नहीं है. अब तक केवल इतना ही पता चला है कि वे एक राज्य सरकार की कंपनी के साथ काम करते हैं जो तीस्ता-III बांध का प्रबंधन करती है. सभी सुरंगें तीस्ता-III बांध परिसर के भीतर हैं, जो गुरुवार की बाढ़ के दौरान नष्ट हो गई थीं.


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