Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में जुलाई 2020 में भारतीय सेना की 'फर्जी मुठभेड़' में तीन लोगों की मौत हो गई. सेना ने इस मामले में एक अधिकारी पर मुकदमा भी चलाया. मगर हाल ही में अधिकारी की आजीवन कारावास की सजा को सस्पेंड कर दिया गया. इस बीच 'फर्जी मुठभेड़' में मारे गए शख्स अबरार अहमद के 65 वर्षीय पिता मोहम्मद यूसुफ चौहान ने कहा कि देश में मुसलमानों को अदालतों से कोई न्याय नहीं मिल सकता है. 


टेलिग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, यूसुफ चौहान को जब पता चला कि आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल की प्रिंसिपल बेंच ने कैप्टन भूपेंद्र सिंह को लेकर कोर्ट मार्शल की कार्यवाही पर सवाल उठाते हुए आजीवन कारावास की सजा को सस्पेंड कर दिया है तो वह बहुत दुखी हुए. ट्रिब्यूनल ने 9 नवंबर को अधिकारी को जमानत दे दी. जनवरी में कोर्ट मार्शल में पाया गया कि भूपेंद्र सिंह हत्या समेत छह धाराओं के साथ दोषी था और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. 


क्या बोले यूसुफ? 


यूसुफ ने कहा, 'ये पूरी तरह से अन्याय है. अगर उसने कबूल किया है कि उसने हत्या की है और अब उसे तीन महीने बाद रिहा किया जा रहा है, तो फिर मैं क्या कह सकता हूं? आप समझ भी नहीं सकते हैं कि मेरे भीतर क्या चल रहा है. मुझे अदालतों से कोई न्याय नहीं मिल सकता है. अदालतों को बंद कर देना चाहिए.' यूसुफ ने बताया कि उन्हें अपने करसपोंडेंट के जरिए भूपेंद्र सिंह की सजा को सस्पेंड किए जाने की जानकारी मिली. 


फोन पर रोते बिलखते हुए यूसुफ ने कहा, 'अगर वे किसी अन्य धर्म के होते तो उन्हें न्याय मिल गया होता. वे मुस्लिम बच्चे थे. मुस्लिमों की यहां कोई कीमत नहीं है.' उन्होंने बताया कि ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद अब उन्हें अपनी जिंदगी में कोई दिलचस्पी नहीं है. पहले वह कोर्ट मार्शल की कार्रवाई से खुश थे. अब उन्होंने कोर्ट मार्शल पर कहा, 'मुझे ऐसा लगता है कि सब कुछ फर्जी था. बेगुनाह लोगों की जिंदगी की कीमत 10 लाख रुपये लगाई गई है.'


क्या है पूरा मामला? 


दरअसल, भारतीय सेना शोपियां के अमशीपुरा में 18 जुलाई 2020 को 'फर्जी मुठभेड़' कर रही थी. इसके जरिए असली में होने वाले एनकाउंटर के दौरान उठाए जाने वाले कदमों की प्रैक्टिस की जा रही थी. हालांकि, इसी दौरान अबरार अहमद और उसके चेचेरे भाइयों मोहम्मद इबरार (17) और इम्तियाज अहमद (22) की गोली मारकर हत्या कर दी गई. ये हत्या शोपियां जिले के दूरदराज पहाड़ी गांव में हुई. इसके बाद तीनों को आतंकवादी करार दे दिया गया था. 


हालांकि, जल्द ही इन हत्याओं को लेकर राजनीतिक बखेड़ा शुरू होने लगा. सोशल मीडिया पर भी इन हत्याओं को लेकर संदेह जताया गया. इसके बाद सेना की तरफ से 'कोर्ट ऑफ इंक्वायरी' (सीओआई) का गठन हुआ. जांच के दौरान पाया गया कि सैनिकों ने आफ्स्पा के तहत मिले अधिकारों से परे जाकर कार्रवाई की थी. फिर कोर्ट मार्शल की कार्यवाही पूरी कर एक सैन्य अदालत ने कैप्टन भूपेंद्र सिंह को आजीवन कारावास देने की सिफारिश की. मगर, अब इसे सस्पेंड किया गया है.


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