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चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई की तरफ जूता उछालने वाले वकील को अवमानना नोटिस जारी करने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि वह उस वकील को अधिक महत्व देने के पक्ष में नहीं है. खुद चीफ जस्टिस ने भी उसे माफ किया है. ऐसे में इस मामले को छोड़ कर भविष्य के लिए दिशानिर्देश बनाने पर विचार करना बेहतर होगा.

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) की तरफ से दाखिल याचिका की सुनवाई जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की बेंच ने की. SCBA के अध्यक्ष वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने मामला रखते हुए कहा कि यह न्यापालिका के सम्मान से जुड़ा मसला है. वकील राकेश किशोर को नोटिस जारी होना चाहिए.

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विकास सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कोई कार्रवाई न करने के चलते वकील राकेश किशोर का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है. वह लगातार कोर्ट के प्रति असम्मानजनक बयान दे रहे हैं. सोशल मीडिया पर सुप्रीम कोर्ट का मजाक बनाया जा रहा है. मामला आगे न बढ़ाना चीफ जस्टिस का व्यक्तिगत निर्णय था, लेकिन वह संस्था के सम्मान की बात कर रहे हैं.

इस पर जजों ने कहा कि न्यायिक व्यवस्था में वह वकील कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति नहीं है. उसने मीडिया में जगह पाने के लिए कुछ बयान दिए हैं. इन बातों से कोर्ट के सम्मान में अंतर नहीं आ जाता. अगर उस वकील को अवमानना का नोटिस जारी किया गया तो उसे मीडिया में बोलने का और मौका मिलेगा.

कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जजों की राय से सहमति जताई. उन्होंने कहा, 'उस व्यक्ति को सोशल मीडिया पर जो जगह मिल रही है, वह थोड़े समय के लिए है. मामले को आगे बढ़ाना उसे कुछ और दिन चर्चा में रहने का मौका देगा. वह खुद को पीड़ित बताते हुए बयान देगा.'

बेंच ने कहा कि वह मामले को बंद नहीं कर रही है. वह भविष्य के लिए सुझावों पर विचार करेगी ताकि ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तैयार किए जा सकें. ध्यान रहे कि SCBA ने नियमों के मुताबिक राकेश किशोर पर अवमानना का केस चलाने के लिए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी से सहमति मांगी थी. उनकी सहमति के बाद ही केस सुनवाई के लिए लगाया गया.

क्या है मामला?6 अक्टूबर 2025 की सुबह लगभग 11:35 बजे वकील राकेश किशोर ने सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर 1 में अपना जूता उतारकर मुख्य न्यायाधीश की तरफ फेंका था. वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उन्हें हिरासत में ले लिया. कोर्ट रजिस्ट्री की तरफ से आधिकारिक रूप से कोई शिकायत न मिलने के चलते दिल्ली पुलिस ने बाद में वकील को छोड़ दिया. हालांकि, वकीलों की सर्वोच्च नियामक संस्था बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अपनी तरफ से कार्रवाई करते हुए राकेश किशोर को वकालत से निलंबित कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी उनकी सदस्यता रद्द कर दी है.