रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली में सोमवार (27 अक्टूबर, 2025) को SOCIETY OF INDIAN DEFENCE MANUFACTURES (SIDM) के कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि SIDM को शुरू हुए 9 साल हो गए और इतना बेहतर काम किया है कि इससे उम्मीदें बढ़ गई हैं. आप लोगों ने जिस तरह देश के विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत करने की दिशा में काम किया है, उसके लिए आपकी जितनी सराहना की जाए, उतनी कम है. राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर हमारी आर्मी, नेवी और एयर फोर्स हमारे डिफेंस के महत्वपूर्ण पिलर्स हैं.

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 भारत सोने की चिड़िया कैसे बना था ?उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता का जो विचार है, वह हमारी सरकार के लिए सिर्फ एक स्लोगन भर नहीं है, बल्कि भारत की ही पुरानी परंपरा का आधुनिक रूप है. इतिहास में एक समय ऐसा भी था, जब हमारा लगभग हर गांव अपने आप में इंडस्ट्री था. भारत सोने की चिड़िया इसलिए कहलाता था, क्योंकि हम अपनी जरूरतों के लिए बाहर की ओर नहीं देखते थे. उसे अपनी ही जमीन पर पूरा करते थे. मोबाइल फोन बनाने में भी, जहां कभी हम केवल इंपोर्टर थे, वहां हम अब एक्सपोर्टर बन चुके हैं. 

राजनाथ सिंह ने कहा कि हाल ही में हुए पहलगाम हमले के बाद जिस तरह से हमने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया, उसके बाद स्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि युद्ध हमारे दरवाजे पर भी दस्तक दे रहा था. हालांकि हमारी सेनाएं किसी भी स्थिति में अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार हैं, लेकिन मैं बस यह कहना चाहता हूं कि दुनिया में शांति और स्थिरता को लेकर अनिश्चितता का माहौल है. इसलिए उस uncertainty को ध्यान में रखते हुए हमें हर domain को सावधानी से एनलाइज करते हुए अपने कदम उठाने होंगे. 

ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र कर क्या कहारक्षा मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का श्रेय हमारे सैनिकों के साथ-साथ, उन सबको भी जाता है, जो पीछे रहकर उस मिशन को सफल बनाने में लगे हुए थे. आप जैसे industry warriors, जिन्होंने innovation, design और tirelessly काम किया, वह भी इस जीत के उतने ही हकदार हैं. पिछले 10 वर्षों में हमने जो मेहनत की, उसका परिणाम यह है, कि हमारा domestic defence production, जो 2014 में जहां मात्र 46,425 करोड़ रुपये था, वहीं आज यह बढ़कर रिकॉर्ड 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है.

भारत का रक्षा निर्यात कितना बढ़ाराजनाथ सिंह ने कहा कि बड़ी बात यह है 33,000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान प्राइवेट सेक्टर से आना यह दर्शाता है कि आत्मनिर्भर भारत के इस अभियान में निजी उद्योग भी भागीदार बन रहे हैं. प्राइवेट सेक्टर की बढ़ती भागीदारी का ही परिणाम है कि भारत का रक्षा निर्यात जो दस वर्ष पहले 1,000 करोड़ रुपये से भी कम था, आज वह बढ़कर रिकॉर्ड 23,500 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.

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