भारतीय इतिहास कई वीर सपूतों के गौरव से भरा हुआ है. इनमें एक नाम वीर सपूत छत्रपति शिवाजी महाराज का भी है. छत्रपति शिवाजी एक महान देशभक्त होने के साथ ही कुशल प्रशासक भी थे. साल 1670 में मुगलों की सेना के साथ उन्होंने जमकर लोहा लिया था. मुगलों को हराकर सिंहगढ़ के किले पर अपना परचम लहराया था. इसके बाद 1674 में उन्होंने ही पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी.


छत्रपति शिवाजी की 391वीं जयंती
छत्रपति शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था. इस साल देशभर में उनकी 391वीं जयंती मनाई जा रही है. हालांकि कुछ लोग उनका जन्म 1627 में बताते हैं. शिवाजी के पिता शाहजी भोसले सेना में सेनापति थे. उनकी माता जीजाबाई धार्मिक स्वभाव वाली थी. बचपन से ही शिवाजी का पालन-पोषण धार्मिक ग्रंथ सुनते सुनते हुआ. उनके अंदर बचपन में ही शासक वर्ग की क्रूर नीतियों के खिलाफ लड़ने की ज्वाला जाग गई थी.


शिवाजी को भारत के एक महान योद्धा और कुशल रणनीतिकार के रूप में जाना जाता है. शिवाजी ने गोरिल्ला वॉर की एक नई शैली विकसित की थी. शिवाजी ने अपने राज काज में फारसी की जगह मराठी और संस्कृत को अधिक प्राथमिकता दी थी. उन्होंने कई सालों तक मुगल शासक औरंगजेब से लोहा लिया था.


छत्रपति शिवाजी की मुगलों से पहली मुठभेड़ 1656-57 में हुई थी. उन्होंने मुगलों की ढेर सारी संपत्ति और सैकड़ों घोड़ों पर अपना कब्जा जमा लिया था. कहा जाता है 1680 में कुछ बीमारी की वजह से अपनी राजधानी पहाड़ी दुर्ग राजगढ़ में छत्रपति शिवाजी की मृत्यु हो गई थी. इसके बाद उनके बेटे संभाजी ने राज्य की कमान संभाली थी.


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