Suprem Court Abrogate Sedition: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राजद्रोह कानून (Sedition Law) पर रोक लगा दी है. रोक लगाए जाने के बाद कानून मंत्री किरेन रीजीजू (Kiren Rijiju) की लक्ष्मण रेखा संबंधी टिप्पणी पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम (P. Chidambaram) ने गुरुवार को सवाल उठाया. इस पर रीजीजू ने पलटवार करते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राजद्रोह के संबंध में जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी सरकारों के फैसलों का जिक्र किया.


सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्रीय कानून मंत्री रीजीजू ने कार्यपालिका और न्यायपालिका समेत विभिन्न संस्थानों के लिए ‘लक्ष्मण रेखा’ की बात कही और कहा कि किसी को इसे पार नहीं करना चाहिए. रीजीजू की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए चिदंबरम ने कहा कि भारत के कानून मंत्री को मनमाने ढंग से लक्ष्मण रेखा खींचने का अधिकार नहीं है और उनको संविधान का अनुच्छेद 13 पढ़ना चाहिए.


क्या बोले पी.चिदंबरम ?
पूर्व केंद्रीय मंत्री चिदंबरम ने ट्विटर पर कहा कि विधायिका कानून नहीं बना सकती और न ही किसी ऐसे कानून को कानून की किताब में रहने दिया जा सकता है जिससे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है. कई कानूनी विद्वानों के विचार में राजद्रोह कानून संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 का उल्लंघन करता है. चिदंबरम ने केंद्र पर तंज कसते हुए कहा कि राजा के सभी घोड़े और राजा के सभी लोग उस कानून को नहीं बचा सकते.






रीजीजू ने भी किया पलटवार
पूर्व केंद्रीय मंत्री पर हमला बोलने के लिए रीजीजू ने भी ट्विटर का ही सहारा लिया. उन्होंने कहा इसीलिए नेहरू जी पहला संशोधन लाए और श्रीमती इंदिरा गांधी ने भारत के इतिहास में पहली बार धारा 124ए को संज्ञेय अपराध बना दिया? रीजीजू ने पलटवार करते हुए कि यही वजह है कि अन्ना आंदोलन और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलनों के दौरान नागरिकों को उत्पीड़न, धमकी और गिरफ्तारी का शिकार होना पड़ा था.






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