आर्य समाज की शादियों को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत लाने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि आर्य समाज मंदिर में होने वाली शादियों में स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 की धारा 5, 6, 7 और 8 लागू होगी. इन धाराओं में शादी से पहले उसकी सूचना प्रकाशित करने, वर-वधू से जुड़े लोगों को अपनी आपत्ति दर्ज कराने का अवसर देने और कम से कम 5 लोगों को शादी में गवाह के रूप में मौजूद रखने का प्रावधान है. 


2020 में हाई कोर्ट ने यह आदेश ऐसे जोड़े की याचिका को सुनते हुए दिया था, जिसने आर्य समाज रीति से विवाह का दावा किया था. हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत सक्षम अधिकारी ही आर्य समाज मंदिर में हुए विवाह का सर्टिफिकेट जारी कर सकता है. 


हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौती


हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ मध्य भारत आर्य प्रतिनिधि सभा नाम की संस्था सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. संस्था की तरफ से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने दलीलें रखीं. उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश सीधे-सीधे विधायिका के अधिकार क्षेत्र में दखल है. कानून बनाना विधायिका का काम है. आर्य समाज की शादियों में हिंदू मैरिज एक्ट लागू होता है. जब दूल्हा और दुल्हन अलग अलग धार्मिक समुदाय से हों, तभी स्पेशल मैरिज एक्ट लागू करने की ज़रूरत होनी चाहिए. लेकिन हाई कोर्ट ने 2 हिंदू वयस्कों की शादी में भी इसे लागू करने का आदेश दे दिया है.


सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर लगाई रोक


वरिष्ठ वकील की बातें सुनने के बाद जस्टिस के एम जोसफ और ऋषिकेश रॉय की बेंच ने मामले में नोटिस जारी कर दिया. जजों ने हाई कोर्ट के आदेश पर भी रोक लगा दी. कोर्ट के आज के आदेश के बाद आर्य समाज मंदिर में होने वाली शादियों में फिलहाल हिंदू मैरिज एक्ट के प्रावधान लागू होते रहेंगे. कोर्ट विस्तृत सुनवाई के बाद तय करेगा कि हाई कोर्ट का आदेश सही था या नहीं. मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का असर पूरे देश में होने वाली आर्य समाज शादियों पर पड़ सकता है.