Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (27 फरवरी) को कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत कार्यवाही के दौरान आवश्यक समझे जाने पर किसी भी व्यक्ति को तलब कर सकता है.


बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया पीएमएलए की धारा 50 के तहत तलब किए गए व्यक्ति को मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय से मिले समन का सम्मान करना और उसका जवाब देना जरूरी है. 


जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि ईडी की ओर से बुलाए जाने पर व्यक्ति को उपस्थित होना होगा और पीएमएलए के तहत कार्यवाही के अनुसार अगर जरूरी हुआ तो सबूत पेश करना होगा.


सुप्रीम कोर्ट ने की ये टिप्पणी


कोर्ट ने पीएमएलए के प्रावधानों की जांच के बाद टिप्पणी की, जिसमें कहा, ''ऐसा देखा गया है कि ईडी किसी भी व्यक्ति को अधिनियम के तहत कार्यवाही के दौरान सबूत पेश करने या उपस्थिति देने के लिए आवश्यक समझे जाने पर तलब कर सकती है. जिन लोगों को समन जारी किया गया है, उन्हें ईडी के उक्त समन का सम्मान करना और उसका जवाब देना आवश्यक है.''


PMLA की धारा 50 देती है ईडी अधिकारियों को ये शक्ति


पीएमएलए की धारा 50 के अनुसार, ईडी अधिकारियों के पास अधिनियम के तहत किसी भी जांच या कार्यवाही के दौरान साक्ष्य देने या कोई रिकॉर्ड पेश करने के लिए किसी भी व्यक्ति को समन भेजने की शक्ति है, जिसकी उपस्थिति वे आवश्यक मानते हैं.


इस मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी


सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणियां ईडी की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान कीं, जिसमें मद्रास हाई कोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी गई है. दरअसल, कथित रेत खनन घोटाले की जांच के सिलसिले में ईडी की ओर से तमिलनाडु के पांच जिला कलेक्टरों को समन जारी किया गया था. तमिलनाडु सरकार ने ईडी के समन को मद्रास हाई कोर्ट में चुनौती दी थी और हाई कोर्ट की खंडपीठ ने समन पर रोक लगा दी थी.


इस अंतरिम आदेश को ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने समन पर रोक हटा दी और आदेश दिया कि जिला कलेक्टर समन का पालन करते हुए ईडी के सामने पेश हों.


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