नई दिल्ली: तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता की बेटी होने का दावा करने वाली महिला की याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. बेंगलुरु की अमृता सारथी का दावा है कि वो जयललिता की बेटी है. इसकी पुष्टि के लिए डीएनए जांच करवाई जानी चाहिए.


हालांकि, जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा, "ये मामला सीधे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का नहीं है. याचिकाकर्ता को दूसरे कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करना चाहिए."

अमृता की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा, "अगर हमने मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की तो कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है. तमिलनाडू में लोग जयलिलता को लेकर बेहद भावुक हैं. इसलिए, हमें कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने की इजाज़त दी जाए."

लेकिन कोर्ट ने इस मांग पर कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता अपने पास उपलब्ध कानूनी विकल्पों के इस्तेमाल करने को स्वतंत्र है.

क्या है अमृता का दावा:-

इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट में कहा कि अमृता जयललिता की बेटी है. चूंकि, जयललिता की शादी नहीं हुई थी. इसलिए, 1980 में अमृता के जन्म के बाद उसे जयललिता की बहन शैलजा को सौंप दिया गया. शैलजा और उनके पति अब इस दुनिया में नहीं हैं. जयललिता की मौत के बाद अमृता को अपने 2 रिश्तेदारों से पता चला कि वो असल में उनकी बेटी है.

इंदिरा जयसिंह ने चेन्नई में जयललिता के पार्थिव शरीर को बाहर निकालने और उनके साथ अमृता का डीएनए मिलाने की मांग की. उन्होंने ये भी कहा कि अमृता को वैष्णव आयंगर ब्राह्मणों में प्रचलित तरीके से अपनी माँ का अंतिम संस्कार करने की इजाज़त दी जाए.

भाई की बेटी का भी विरासत पर दावा:-

गौरतलब है कि जयललिता के भाई जयकुमार की बेटी दीपा खुद को जयललिता का वारिस बताती है. शैलजा की बेटी अमृता खुद को जयललिता की बेटी बता कर उत्तराधिकार की लड़ाई को नया मोड़ देने की कोशिश कर रही हैं.