नई दिल्ली: आधार कार्ड को सरकारी योजनाओं में अनिवार्य बनाए जाने के खिलाफ जल्द सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार अपनी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए आधार को अनिवार्य नहीं बना सकती.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार को बैंक खाते खोलने जैसी अन्य योजनाओं में आधार का इस्तेमाल करने से रोका नहीं जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के लिए सात न्यायाधीशों की एक संवैधानिक पीठ गठित की जानी है लेकिन इस समय ऐसा संभव नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार अनिवार्य न बनाने का आदेश समाज कल्याण की योजनाओं के लिए था. इनकम टैक्स रिटर्न जैसी दूसरी चीजों के लिए इस पर कोई पाबंदी नहीं है.
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने जन कल्याण से जुड़ी कई योजनाओं के लिए आधार लाजमी कर रखा है. तीन दर्जन ऐसी सरकारी योजनाएं हैं जहां आधार को लाजमी कर रखा गया है.
कहां-कहां आधार जरूरी
- मिड डे मील
- स्कॉलरशिप (सभी छात्रों के लिए)
- एलपीजी सिलेंडर सब्सिडी
- सरकारी राशन की दुकानों से सामानों की खरीदारी
सरकार ने फरवरी में सरकारी राशन की दुकानों से सामानों की खरीदारी को लेकर नोटिफिकेशन जारी था और कहा कि जिन लोगों के पास आधार नहीं है, वो 30 जून तक अप्लाई कर दें.
सरकारी योजनाओं में आधार को लाज़मी करने के पीछे सरकार की मंशा सब्सिडी में गड़बड़ियां रोकने और भ्रष्टाचार पर लगाम है.
हालांकि, इससे पहले 15 अक्टूबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के एक फैसले में बदलाव करते हुए जनहित की योजनाओं में मर्जी से आधार के इस्तेमाल की इजाजत दी थी, जिसमें मनरेगा, सभी तरह की पेंशन स्कीम, प्रोविडेंट फंड, प्रधानमंत्री जन धन योजना. इसके साथ ही एलपीजी और पीडीएस स्कीम के लिए मर्जी से आधार के इस्तेमाल की इजाजत दी थी.
विरोधा क्यों?
आधार के लाजमी किए जाने का विरोध करने वालों का तर्क है कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के तहत जो आधार बनाया जाता है इसमें एक व्यक्ति की बॉयोमीट्रिक्स जानकारी प्राइवेट कंपनी के जरिए ली जाती है, जो कि एक नागरिक के मूलभूत अधिकार के खिलाफ है.