नई दिल्ली: 1984 बैच के आईआरएस अधिकारी संजय कुमार मिश्रा को प्रवर्तन निदेशालय का कार्यकारी निदेशक बनाया गया. ईडी में अब नए कार्यकारी निदेशक के तौर पर आईआरएस अधिकारी संजय मिश्रा की तैनाती तीन माह के लिए की गई है. बता दें कि ईडी निदेशक कर्नल सिंह आज अपने पद से रिटायर हो गए. प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले तीन साल के दौरान 36 हजार करोड रुपये की चल अचल संपत्ति जब्त की जबकि इसके पहले दस सालों में मात्र 9 हजार करोड रुपये की संपत्ति जब्त की गई थी. ईडी के इतिहास में यह पहला मौका था जब सुप्रीम कोर्ट ने ईडी निदेशक के पद के लिए सीबीआई की तर्ज पर दो साल कार्यकाल तय किया था और लगभग चार दशको बाद किसी आईपीएस अधिकारी को इस पद पर तैनात किया गया था. ईडी ने पिछले तीन सालों के दौरान 391 आरोपपत्र कोर्ट में दाखिल किए जबकि पिछले दस सालों के दौरान मात्र 173 मामलो में आरोपपत्र कोर्ट के सामने दाखिल किए गए थे. 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी कर्नल सिंह को ईडी में बतौर कार्यकारी निदेशक 1 अप्रैल 2015 को तैनात किया गया था. ईडी निदेशक ने अपने कार्यकाल के दौरान मोइन कुरेशी समेत महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री छगन भुजबल को गिरफ्तार कर और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति को कई बार पूछताछ के लिए बुलाया और फिर आरोपपत्र दाखिल किया. उनके कार्यकाल के दौरान विजय माल्या केस, एयरसेल मैक्सिस केस, नीरव मोदी केस, मानेसर लैंड स्कैम केस, कोल ब्लाक स्कैम केस, एयरइंडिया घोटाला केस, छह हजार करोड रुपये का बैंक आफ बडौदा केस, आईएनएक्स मीडिया केस, शारदा चिटफंड केस, आदि बडे मामलों की जांच की गई. इसके अलावा नक्सलियों की प्रापर्टी जब्त करने के कडे कदम भी कर्नल सिंह के कार्यकाल में उठाए गए. इसके अलावा नोटबंदी के दौरान ईडी ने काला धन रखने वालों के यहां ताबड़तोड़ छापेमारी की और इस दौरान शैल कंपनियों का काला इतिहास निकल कर सामने आया और इसके चलते लाखों शैल कंपनियों पर ताला लगा दिया गया. कर्नल सिंह के कार्यकाल में ही ईडी के केसों में पहली बार लगातार तीन मामलो में सजा सुनाई गई और ताबड़तोड़ विदेशों में भी घोटालेबाजों की संपत्तियां जब्त की गई. 1997 के सिलसिलेवार बम धमाकों ने जब दिल्ली को दहला दिया था तब कर्नल सिंह ने बतौर डीसीपी क्राइम मामले को सुलझाया था और इसके लिए उऩ्हें कुरान अग्रेजी में पढनी पढी थी क्योंकि मामले का आरोपी कामरान केवल कुरान की आय़तों पर ही सही गलत की बहस करना चाहता था. इसके अलावा यूपी का कुख्यात अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला और आंनद पाडे भी भी उनके कार्यकाल में मारे गए. कुख्यात आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का पर्दाफाश भी उनके स्पेशल सेल के कार्यकाल के दौरान हुआ और बहुचर्चित बाटला हाऊस कांड भी उनके कार्यकाल में हुआ जिसने देश में भूचाल ला दिया. उनके कार्यकाल के दौरान स्पेशल सेल ने कुला 140 आंतकियों को गिरफ्तार किया और दर्जनों मारे गए. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उन्हें गुजरात में हुए बहुचर्चित एनकांउटर इशरत जहां केस का पहला जांच अधिकारी नियुक्त किया गया.