पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में हुई हिंसा को लेकर सियासी घमासान जारी है. इसी बीच बुधवार (14 फरवरी को) बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 6 सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है. यह कमेटी महिलाओं से बात करके पार्टी को अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. उधर, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने इस मामले में गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी है. इसमें उन्होंने पुलिस पर संदेशखाली में 'उपद्रवी तत्वों' के साथ मिलने होने का आरोप लगाया है. सियासी विवाद को देखते हुए प्रशासन ने संदेशखाली और आसपास के इलाके में धारा 144 लागू कर दी है. 


दरअसल, पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले का संदेशखाली लगातार चर्चा में है. यहां की स्थानीय महिलाओं ने पिछले दिनों टीएमसी नेता शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर यौन उत्पीड़न और जमीन पर कब्जे करने का आरोप लगाया था. महिलाओं के आरोप काफी गंभीर थे. 


महिलाओं ने किया हिंसक प्रदर्शन

महिलाओं का दावा है कि टीएमसी के स्थानीय नेताओं के खिलाफ जब वे शिकायत करने पुलिस के पास गईं, तो उनकी शिकायत दर्ज नहीं की गई. जब पुलिस ने टीएमसी नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, तो उनकी गिरफ्तारी की मांग को लेकर महिलाएं सड़क पर उतर आईं और प्रदर्शन किया. देखते ही देखते प्रदर्शन हिंसक हो गया. इस मुद्दे पर बीजेपी लगातार टीएमसी पर निशाना साध रही है.


राज्यपाल ने गृह मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें उन्होंने पुलिस पर संदेशखाली में उपद्रवी तत्वों के साथ मिले होने का आरोप लगाया. राजभवन सूत्रों ने यह जानकारी दी. बोस ने रिपोर्ट में कहा कि स्थानीय लोग अपने आरोपों की जांच के लिए एक विशेष कार्य बल या विशेष जांच दल का गठन चाहते हैं. बोस ने सोमवार को हिंसा प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया था और प्रदर्शनकारियों से बातचीत की.


बोस ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को दी रिपोर्ट में कहा, मैंने पीड़ितों से बातचीत की और संदेशखाली का दौरा करके मामले का जायजा लिया है. मेरी राय में वहां की स्थिति बेहद निंदनीय है.राज्यपाल ने रिपोर्ट में यह भी कहा कि पुलिस उपद्रवियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के बजाय स्थानीय लोगों को उनके साथ समझौता करने की सलाह दे रही है. रिपोर्ट में कहा कि पीड़ितों यह भावना व्यापत है कि पुलिस उपद्रवियों के साथ मिली हुई है.


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