Highlights: 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालना देश के लिए बड़ी उपलब्धि- राष्ट्रपति मुर्मू
Samvidhan Diwas 2025Highlights: कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने को कहा कि संविधान औपनिवेशिक मानसिकता को त्यागने और राष्ट्रवादी सोच अपनाने के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज है.
एबीपी लाइव Last Updated: 26 Nov 2025 12:58 PM
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बुधवार को संविधान सदन के सेंट्रल हॉल में संविधान दिवस 2025 के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय समारोह की अध्यक्षता की. इस कार्यक्रम में नौ भारतीय भाषाओं में संविधान...More
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बुधवार को संविधान सदन के सेंट्रल हॉल में संविधान दिवस 2025 के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय समारोह की अध्यक्षता की. इस कार्यक्रम में नौ भारतीय भाषाओं में संविधान को डिजिटल तरीके से जारी किया गया, जिन नौ भाषाओं में भारत का संविधान जारी किया गया, उनमें मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, ओडिया और असमिया शामिल हैं.कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने को कहा कि संविधान औपनिवेशिक मानसिकता को त्यागने और राष्ट्रवादी सोच अपनाने के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज है. उन्होंने ‘संविधान सदन’ (पुराना संसद भवन) के केंद्रीय कक्ष में आयोजित संविधान दिवस समारोह को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि भारत दुनिया के लिए विकास का एक नया मॉडल पेश कर रहा है.उनका कहना था, 'हमारे संविधान निर्माता चाहते थे कि हमारे व्यक्तिगत, लोकतांत्रिक अधिकार हमेशा सुरक्षित रहें. संविधान औपनिवेशिक मानसिकता को छोड़ने और राष्ट्रवादी सोच को अपनाने के लिए मार्गदर्शक दस्तावेज है.' उन्होंने कहा, '25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर लाना देश की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है. महिलाएं, युवा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, किसान, मध्यम वर्ग, नया मध्यम वर्ग हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं.' उनका कहना था कि संविधान दिवस मनाने की परंपरा आरंभ करने की जितनी भी प्रशंसा की जाए, वो कम है. राष्ट्रपति ने नौ भाषाओं -मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, उड़िया और असमिया में संविधान के डिजिटल संस्करण का लोकार्पण किया. कार्यक्रम में राष्ट्रपति के नेतृत्व में संविधान की प्रस्तावना का पाठ भी किया गया.
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Live: संविधान के मार्गदर्शन में देशहित से जुड़े कानून और नीतियां बनाई गईं- ओम बिरला
ओम बिरला ने यह भी कहा कि संविधान सभा का सेंट्रल चैंबर वह पवित्र स्थान है जहां गहन चर्चा, संवाद और विचार-विमर्श के बाद संविधान को रूप दिया गया और जनता की उम्मीदों को संवैधानिक प्रावधानों में शामिल किया गया. ओम बिरला ने कहा कि संविधान के मार्गदर्शन में पिछले सात दशकों में देश ने सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में नीतियां और कानून बनाए हैं.