मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और प्रधानमंत्री को 30 दिन की गिरफ्तारी की स्थिति में पद से बर्खास्त करने वाले विधेयकों और संवैधानिक संशोधन पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को लेकर कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. टीएमसी के बाद अब समाजवादी पार्टी भी इसके विरोध में उतर आई है. तृणमूल कांग्रेस (TMC) और समाजवादी पार्टी (SP) ने इस समिति में हिस्सा लेने से साफ इनकार कर दिया. टीएमसी का बहिष्कार पहले से तय माना जा रहा था, लेकिन सपा के फैसले ने विपक्षी खेमे में हलचल मचा दी है. अब कांग्रेस पर भी विपक्षी एकजुटता के नाम पर दबाव बढ़ गया है. कांग्रेस अब तक जेपीसी में शामिल होने के पक्ष में थी, लेकिन सपा के रुख से पार्टी के भीतर संशय गहराने लगा है.

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अखिलेश यादव बोले- विधेयक की सोच ही गलतसपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी टीएमसी का साथ देते हुए इस बिल का कड़ा विरोध किया. उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा कि “विधेयक का विचार ही गलत है. जिसने यह बिल पेश किया यानी गृह मंत्री अमित शाह, उन्होंने खुद कई बार कहा है कि उन पर झूठे केस लगाए गए थे. अगर कोई भी किसी पर फर्जी केस डाल सकता है तो फिर इस बिल का मतलब ही क्या है?”

अखिलेश यादव ने आगे कहा कि यही कारण है कि सपा नेताओं जैसे आजम खान, रामाकांत यादव और इरफान सोलंकी को जेल में डाला गया. उन्होंने विधेयकों को भारत के संघीय ढांचे से टकराने वाला बताया. अखिलेश ने कहा कि जैसे यूपी में हुआ, मुख्यमंत्री अपने राज्यों में दर्ज आपराधिक मामलों को वापस ले सकते हैं. केंद्र का इस पर कोई नियंत्रण नहीं होगा क्योंकि कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है. केंद्र केवल उन्हीं मामलों में दखल दे पाएगा, जिन्हें केंद्रीय एजेंसियां जैसे सीबीआई और ईडी दर्ज करेंगी.

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टीएमसी ने जेपीसी को बताया तमाशातृणमूल कांग्रेस ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को हटाने की रूपरेखा तय करने वाले तीन विधेयकों पर विचार के लिए गठित जेपीसी को “तमाशा” करार दिया. टीएमसी ने साफ कर दिया कि वह इसमें अपना कोई सदस्य नहीं भेजेगी.

टीएमसी ने बयान जारी करते हुए कहा कि वह संविधान के 130वें संशोधन विधेयक का पेश होने के समय से ही विरोध कर रही है और उसका मानना है कि यह जेपीसी सिर्फ दिखावा है. इसलिए तृणमूल ने इसमें किसी सदस्य को नामित न करने का फैसला लिया है.

पेश हुए तीन अहम विधेयक

लोकसभा में हाल ही मेंतीन बड़े विधेयक पेश किए गए थे. इनमें शामिल हैं:

  • केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025
  • संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025
  • जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025

इन विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) को भेजा गया है. प्रस्तावित विधेयकों में प्रावधान है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री किसी गंभीर आरोप में लगातार 30 दिन तक जेल में रहते हैं तो उन्हें पद से हटाने की कानूनी व्यवस्था लागू होगी.

समिति की समय-सीमाइन विधेयकों को मानसून सत्र के अंतिम दिनों में लाया गया. विपक्ष ने इनका पुरजोर विरोध किया. समिति को निर्देश दिया गया है कि वह अपनी रिपोर्ट शीतकालीन सत्र में सदन को सौंपे. यह सत्र संभवतः नवंबर के तीसरे सप्ताह में होगा.

डेरेक ओ’ब्रायन का हमलाराज्यसभा में टीएमसी के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि केंद्र पूरे मानसून सत्र में “रक्षात्मक” मुद्रा में रहा और कार्यवाही में बाधा डालने के कई उपाय किए.

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी पोस्ट में सत्तारूढ़ गठबंधन को “कमजोर” करार दिया. ओ’ब्रायन ने लिखा कि पूरे मानसून सत्र में 239 सीटों वाला मोदी गठबंधन लगातार रक्षात्मक रहा. उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति पूरे सत्र में नदारद रहे और भाजपा को अब तक नया राष्ट्रीय अध्यक्ष भी नहीं मिला है. ओ’ब्रायन ने आगे कहा कि “वोट चोरी घोटाला” भी सामने आया और दबाव में आकर सरकार ने पूरे सत्र में बाधा डालने के तरीके खोजे.