S Jaishankar on UN Security Council: बेंगलुरु के एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को किसी ओल्ड क्लब की तरह बताया. उन्होंने कहा, "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद किसी पुराने ओल्ड क्लब की तरह है, यहां कुछ ऐसे सदस्य हैं जो अपनी पकड़ कमजोर नहीं होने देना चाहते हैं. वे क्लब पर पूरी तरह से अपनी पकड़ चाहते हैं. 


संयुक्त राष्ट्र की पकड़ हो रही कमजोर- विदेश मंत्री


उन्होंने कहा, "ऐसे सदस्य ये चाहते हैं कि इसमें और नए सदस्यों को शामिल नहीं किया जाए. हालांकि इससे आज दुनिया को नुकसान हो रहा है, क्योंकि दुनिया के प्रमुख मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र की पकड़ कमजोर होती जा रही है."


संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की जिम्मेदारी है कि पूरी दुनिया में शांति और सुरक्षा बनी रहे, जिसका अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस स्थायी सदस्य हैं. विदेश मंत्री ने आगे कहा कि यदि आप दुनिया के 200 देशों से पूछें कि किया क्या आप यूएन में सुधार चाहते हैं तो ज्यादातर देश हां कहेंगे. 






आम सहमति बनाने में विफल रहा यूएन


विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "मौजूदा समय में संयुक्त राष्ट्र अपनी साख खो रहा है, क्योंकि इजरायल-हमास सहित कई प्रमुख मुद्दों पर वह आम सहमति बनाने में विफल रहा."


इजरायल-हमास के बीच 2 महीने से अधिक समय से जंग हो रही है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद युद्धविराम के प्रस्ताव पर सहमति बनाने में विफल रहा. इस युद्ध के शुरू होने के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने चार प्रस्तावों पर वोटिंग किया था, जिसमें सब विफल हो गए थे.


यूएनजीए के अध्यक्ष ने दिया था ये बयान


किसी भी प्रस्ताव को पारित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र को कम से कम नौ वोट चाहिए होता है. साथ ही कोई कोई स्थाई सदस्य की ओर से वीटो न किया गया हो. इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कहा था कि एक ऐसी सुरक्षा परिषद की आवश्यकता है जो अधिक संतुलित, लोकतांत्रिक और पारदर्शी हो.


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