यूक्रेन में जंग की तबाही के बीच बुधवार को दिल्ली में रूस के राजदूत ने कहा कि उनकी सरकार सुरक्षित-कोरिडोर तलाशने की कोशिश कर रही है और इस पर काम करना शुरू कर दिया है. रूसी राजदूत ने खारकीव में मारे गए भारतीय छात्र, नवीन की मौत पर दुख जताते हुए घटना की जांच की बात कही है. रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने यूक्रेन युद्ध पर प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि रूसी सेना जो हमले कर रहे है, वे सिर्फ और सिर्फ यूक्रेन के सैन्य ठिकानों पर हैं.


रूसी सेना रिहायशी इलाकों या फिर यूक्रेन के निवासियों को निशाना नहीं बना रही है. उन्होंने दावा किया कि यूक्रेन की राजधानी कीव के टीवी टावर पर किया गया हमला ही रिहायशी इलाके पर था. इसके अलावा किसी भी रिहायशी या सिविलियन बिल्डिंग को निशाना नहीं बनाया गया है. कीव के टावर पर हमले से पहले भी रूस ने पहले से अलर्ट कर दिया था और नागरिकों को दूर रहने की चेतावनी दी थी.


रूस के राजदूत ने कहा कि हमें नवीन की मौत पर दुख है और इस दुख की घड़ी में सभी भारतीयों के साथ खड़े हैं. राजदूत ने कहा कि रूस भी शांति चाहता है, लेकिन यूक्रेन में चल रहे हालात को देखते हुए ये कदम उठाया गया है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि रूस यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने में पूरी कोशिश करेगा. उन्होंने बताया कि इस बावत मंगलवार को उनकी मुलाकात भारत के विदेश सचिव, हर्ष वी श्रृंगला से हुई थी. बैठक में यूक्रेन के राजदूत भी मौजूद थे.


कर्नाटक के रहने वाले नवीन युद्ध शुरू होने के बाद से ही यूक्रेन के खारकीव में फंसे हुए थे. मंगलवार को उनकी खारकीव में गोलाबारी की चपेट में आकर मौत हो गई थी. उसी दौरान यूक्रेन के विदेश मंत्री ने खारकीव की एक बिल्डिंग पर हुए अटैक की वीडियो साझा की थी. यूक्रेन का दूसरे सबसे बड़ा शहर खारकीव रूसी बॉर्डर के करीब है और वहां से पौलेंड, रोमानिया और हंगरी की सीमाएं भी बेहद दूर हैं, जिसके कारण करीब 5-6 हजार भारतीय विद्यार्थी वहां से फंस गए हैं.


मंगलवार को विदेश सचिव ने भी बताया था कि करीब 8 हजार भारतीय अभी भी खारकीव और यूक्रेन के अलग-अलग बॉर्डर पर फंसे हुए हैं. अब रूस के राजदूत के आश्वासन से खारकीव और सुमी में फंसे भारतीय छात्रों के लिए राहत की सांस हो सकती है, क्योंकि खारकीव के करीब ही वो डॉनबास (दोनेत्सक और लुहांसक) इलाके हैं, जहां सबसे ज्यादा भीषण युद्ध चल रहा है.


रूस के राजदूत अलीपोव ने साफ तौर से कहा कि अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का असर भारत के साथ संबंधों पर नहीं पड़ेगा. अलीपोव ने कहा कि इन प्रतिबंधों का असर न तो एस-400 मिसाइल डील पर होगा और न ही किसी और दूसरे रक्षा सौदों पर. उन्होंने कहा कि भारत के साथ रूस का व्यापार पहले की तरह ही चलता रहेगा.


रूसी राजदूत ने पश्चिमी मीडिया को रूस के खिलाफ झूठा प्रोपेगेंडा चलाने का भी आरोप लगाते हुए कहा कि हमें आक्रमणकारी घोषित किया जा रहा है, जबकि असली आक्रमणकारी अमेरिका है. उन्होंने कहा कि हमें युद्ध करने वाला करार दिया जा रहा है, जबकि यूक्रेन के डोनबास इलाके में पिछले 8 साल तक किसी ने ध्यान नहीं दिया. राजदूत ने कहा कि रूस भी शांति चाहता है.


रूस के राजदूत ने कहा कि भारत भी अमेरिका के बारे में अच्छे से जानता है कि आक्रमणकारी अमेरिका और उसके सहयोगी देश हैं, जो अपने खुद के नियम-कानून बनाते हैं. भारत भी यह अच्छे से जानता है, इसीलिए भारत ने स्वतंत्र होकर रूस का साथ दिया है न कि इसलिए कि भारत हथियारों के लिए रूस पर निर्भर है. उन्होंने भारत के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि दोनों देश सामरिक-साझेदार हैं. अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों पर राजदूत अलीपोव ने कहा कि रूस हमेशा से राख से खड़ा हुआ है और फिर से ऐसा ही होगा. उन्होने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था इन प्रतिबंधों को झेल सकती है.