Rupee Symbol: तमिलनाडु और केंद्र के बीच राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तीन-भाषीय फार्मूले पर विवाद इतना बढ़ गया कि डीएमके सरकार ने बजट के लिए अपने लोगो में से रुपये के देवनागरी सिंबल '₹' को हटाकर तमिल अक्षर 'ரூ' का इस्तेमाल कर डाला. हालांकि मजेदार बात यह हुई कि उन्होंने जो सिंबल हटाया, वह वास्तव में तमिलनाडु के ही एक शख्स ने डिजाइन किया था. इससे भी बड़ी बात यह कि वह शख्स खुद डीएमके पार्टी से संबंध रखता है.

वर्तमान में IIT गुवाहाटी के प्रोफेसर डी. उदय कुमार ने रुपये के सिंबल को डिजाइन किया था. उनके पिता तमिलनाडु में डीएमके के पूर्व विधायक रह चुके हैं. अब जब उदय कुमार से स्टालिन सरकार के इस फैसले पर राय पूछी गई तो उन्होंने खुद को इस विवाद से पूरी तरह दूर रखते हुए अपनी बात कही. 'यह राज्य सरकार पर निर्भर करता है'उदय कुमार ने पीटीआई से बातचीत में कहा, 'इस पर मेरी कोई प्रतिक्रिया नहीं है. सरकार को लगा कि बदलाव की जरूरत है और वे अपनी खुद की लिपि के अक्षर से इसे बदलना चाहते हैं तो वे कर सकते हैं. यह राज्य सरकार पर निर्भर है. मेरे पास इस बारे में कहने के लिए कुछ नहीं है.' उन्होंने यह भी कहा कि यह महज संयोग है कि तमिलनाडु और डीएमके से जुड़े किसी शख्स ने यह डिजाइन किया.

2010 में अपनाया गया था सिंबलरुपये के इस सिंबल को आधिकारिक तौर पर 15 जुलाई 2010 को भारत सरकार द्वारा अपनाया गया था. भारत सरकार ने एक प्रतियोगिता रखी थी, जिसमें उदय कुमार के डिजाइन को सर्वश्रेष्ठ माना गया था. इसी के बाद इसे रुपये के नए सिंबल के तौर पर अपना लिया गया.

उदय कुमार IIT बॉम्बे से पोस्ट ग्रेजुएटउदय कुमार के पिता एन धर्मलिंगम ऋषिवंदियम निर्वाचन क्षेत्र से डीएमके के विधायक रहे हैं. धर्मलिंगम के चार बच्चे थे. उदय कुमार उनके दूसरे बेटे थे. उदय का जन्म 1978 में चेन्नई में हुआ. उन्होंने अन्ना यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और फिर IIT बाम्बे से पोस्ट ग्रेजुएशन किया.

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