राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत रविवार (14 सितंबर, 2025) को इंदौर में मध्य प्रदेश के मंत्री प्रह्लाद पटेल की लिखित पुस्तक 'नर्मदा परिक्रमा' के विमोचन कार्यक्रम में शामिल हुए. यहां उनके साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी मौजूद थे. 

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इंदौर में सभा को सम्बोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा, 'हमारा देश दुनिया में कहीं भी किसी से पीछे नहीं है. हमारे देश में तर्क भी है और श्रद्धा भी है. दुनिया श्रद्धा और विश्वास के आधार पर चलती है. आज दुनिया में संघर्ष इसलिए है, क्योंकि सभी के मन में अहम है, जिसमें केवल यह सोच है कि मैं ही आगे बढूं और दूसरा कोई आगे ना बढे, इसलिए सभी आपस में भिड़े हुए हैं.'

भारत के अंदर काल्पनिक नहीं, मजबूत आस्था

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संघ प्रमुख ने आगे कहा, 'हमें हमारे पूर्वजों ने सर्वत्र देखने समझने की जो शक्ति दी है, यह भाव हमें आगे लेकर चलना है, क्योंकि यह हमारी विरासत है. हमारे यहां जो आस्था है, वह एक मजबूत आस्था है. यह कोई काल्पनिक आस्था नहीं है, जो आपने कहीं सुनी हो. यह प्रत्यक्ष अनुभूति पर आधारित आस्था है, और वह प्रत्यक्ष अनुभूति किसी भी व्यक्ति की ओर से प्राप्त की जा सकती है जो प्रयास करता है.' 

उन्होंने आगे कहा, 'हम वैज्ञानिकों के बारे में सुनते हैं, हम सुनते हैं कि हमारे पास एक वैज्ञानिक मन और दृष्टिकोण होना चाहिए. वैज्ञानिक दृष्टिकोण का क्या अर्थ है? इसके लिए प्रत्यक्ष प्रमाण की आवश्यकता होती है, लेकिन आज जो लोग खुद को वैज्ञानिक कहते हैं, उनके पास भी प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं हैं. भारत में हमारी जो आस्था है, उस आस्था के लिए प्रत्यक्ष प्रमाण हैं.' 

'दुनिया धर्म से चलती है, किसी लॉजिक से नहीं'

मोहन भागवत ने कहा, 'यदि आप उस प्रमाण को प्राप्त करना चाहते हैं तो आप इसे प्रयासों और प्रयोगों के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं. आस्था और विश्वास की भावनाओं को यहां मूर्त रूप दिया गया है, जिन्हें भवानी और शंकर कहा जाता है. यह आस्था किस आस्था से आई है? मनुष्य केवल वही मानता है, जो वह देख सकता है. जो दिखाई नहीं देता, उसका अस्तित्व नहीं है, यह मानव स्वभाव है.'

संघ प्रमुख ने कहा, 'हमने पूर्व में विश्व का नेतृत्व किया था, लेकिन हमने किसी को दबाया नहीं. आज परिवार टूट रहा है, माता-पिता को घर से निकाला जा रहा है. समाज में ऐसी विकृति आ गई है, जिससे हमें बचना होगा. अपनापन हमें जोड़ता है, लेकिन आज अपनापन नहीं है. हमें धर्म के आधार पर ही आगे बढ़ना होगा, क्योंकि धर्म किसी को दर्द नहीं देता, यह सभी को जोड़कर चलता है. दुनिया धर्म से चलती है, किसी लॉजिक से नहीं. हमें ज्ञान और कर्म दोनों चाहिए.

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