Population Control In India: जनसंख्या नियंत्रण को लेकर इन दिनों देश में खूब घमासान मचा हुआ है. राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) के नेता इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं. जनसंख्या नियंत्रण पर मोदी सरकार और आरएसएस का रुख काफी अलग नजर आ रहा है.


RSS प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा है कि भारत को व्यापक सोच के बाद जनसंख्या नीति तैयार करनी चाहिए और यह सभी समुदायों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए. हालांकि, आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि जनसंख्या नियंत्रण और धर्म आधारित जनसंख्या संतुलन एक महत्वपूर्ण विषय है जिसे अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. 


जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने बीते शनिवार को कहा कि जनसंख्या असंतुलन के कारण कई देशों का अस्तित्व ही खत्म हो गया है. कई देश जनसंख्या वृद्धि को भार भी मानते हैं, किन्तु यह संतुलित रहे तो देश की शक्ति भी है. चीन जैसे देश ने अपनी जनसंख्या नीति ही बदल दी है, क्योंकि राष्ट्र को युवा शक्ति चाहिए, जिससे देश उद्यम व साहस के साथ प्रगति के मार्ग अग्रसर रहे.


भागवत के बयान पर ओवैसी की तीखी प्रतिक्रिया


मोहन भागवत और आरएसएस के तमाम नेताओं के बयान पर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, "मोहन भागवत ने कहा भारत में मजहबी इम्बैलेंस हो रहा है और आबादी पर सोचना पड़ेगा. टोटल फर्टिलिटी रेट 2 प्रतिशत है. टीएफआर, सबसे ज्यादा मुसलमानों का गिरा है देश में. भागवत से पूछना चाहते हैं कि 90 लाख हिंदू बहनों की औलाद मिसिंग है, साल 2000 से 2019 तक. अंग्रेजी में इसे फीमेल फेटिसाइड बोलते हैं. भागवत इस पर क्यों नहीं बोलते."


ओवैसी यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि कुरान कहता है कि बेटियों को मारना बहुत बड़ा गुनाह है. मुसलमान अगर 1000 बेटे पैदा कर रहे हैं तो उसे 943 बेटियां भी पैदा हो रही हैं. वहीं हिंदू भाई अगर 1000 बेटे पैदा कर रहे हैं, तो उनके 913 बेटियां पैदा होती हैं. इस पर भागवत क्यों नहीं बोलते. ओवैसी ने आगे कहा, "मुसलमानों की आबादी नहीं बढ़ रही है. टेंशन नहीं लो. मुसलमानों की आबादी गिर रही है." ओवैसी ने ये भी कहा कि मोहन भागवत को डेटा रख कर बात करनी चाहिए. सबसे ज्यादा कंडोम मुसलमान इस्तेमाल कर रहा है."


'मुस्लिमों को नहीं मिल रहा उनका उचित हिस्सा'


राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने शनिवार को कहा, 'मुस्लिम समुदाय के लोग महसूस कर रहे हैं कि इस देश की जनसंख्या में एक बड़ी भागीदारी होने के बावजूद उन्हें उनका उचित हिस्सा नहीं मिल रहा है. देश में बेरोजगारी सभी समुदायों में एक मुद्दा है, लेकिन इस मोर्चे पर अल्पसंख्यकों की शिकायत वाकई असली है और उसपर गौर करने की जरूरत है.'


2019 का प्रधानमंत्री मोदी का बयान


जनसंख्या नियंत्रण कानून पर बीजेपी (BJP) के कई नेता खुलकर अपनी बात रख चुके हैं. अधिकतर नेता इस कानून बनाने के समर्थन में रहे हैं. यहां ये भी जान लीजिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने भी 2019 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बढ़ती जनसंख्या पर अपनी बात रखी थी. उन्होंने कहा था कि जनसंख्या विस्फोट पर चर्चा और जागरूकता की ज्यादा जरूरत है.


पीएम मोदी ने कहा, "जनसंख्या विस्फोट हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए कई समस्याएं पैदा करेगा, लेकिन जनता का एक सतर्क वर्ग है जो एक बच्चे को दुनिया में लाने से पहले सोचना बंद कर देता है कि क्या वे बच्चे के साथ न्याय कर सकते हैं, उन्हें वह सब कुछ दे सकते हैं जो वह चाहते हैं." पीएम मोदी ने यह भी कहा कि जिनका एक छोटा परिवार है वो देश के प्रति अपनी देशभक्ति व्यक्त करते हैं. आइए उनसे सीखें."


क्या कहता है जनसंख्या नियंत्रण विधेयक?


प्रस्तावित विधेयक का उद्देश्य जोड़ों को दो से अधिक बच्चों को जन्म देने से हतोत्साहित करना है. इसमें कहा गया है कि दो से अधिक संतान वाले जोड़ों को सरकारी नौकरी और सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सुविधाओं और सामानों पर सब्सिडी के लिए अपात्र बनाया जाए. 


जनसंख्या नियंत्रण विधेयक, 2019, जिसे 2022 में वापस ले लिया गया था, ने प्रति जोड़े दो बच्चे की नीति पेश करने का प्रस्ताव रखा. विधेयक में शैक्षिक लाभ, गृह ऋण, बेहतर रोजगार के अवसर, मुफ्त स्वास्थ्य सेवा और कर कटौती के माध्यम से नीति को अपनाने को प्रोत्साहित करने का भी प्रस्ताव है. हालांकि, दो-बाल नीति (Two Child Policy) को लगभग तीन दर्जन बार संसद में पेश किया गया है, लेकिन किसी भी सदन से हरी झंडी नहीं मिली है. 


'हम नहीं कर रहे ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार'


यहां यह भी बता दें कि ये विधेयक बीजेपी सांसद रवि किशन (BJP MP Ravi Kishan) द्वारा संसद मे पेश किया गया था. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह सहित कई बीजेपी नेताओं ने भारत में बढ़ती जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए कानून लाने की मांग की है. हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने उस दौरान यह स्पष्ट कर दिया था कि वह ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रहा है.


संविधान क्या कहता है?


सामाजिक प्रगति और विकास पर 1969 की घोषणा का अनुच्छेद 22, संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा एक प्रस्ताव में अपनाया गया, यह सुनिश्चित करता है कि जोड़ों को अपने बच्चों की संख्या को स्वतंत्र रूप से और जिम्मेदारी से चुनने का अधिकार है. विशेष रूप से, बच्चों की संख्या को नियंत्रित और विनियमित करने की नीति अनुच्छेद 16 (सार्वजनिक रोजगार के मामलों में समान अवसर) और अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा) जैसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करती है.


जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग पर SC ने क्या कहा?


सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार (30 सितंबर) को जनसंख्या नियंत्रण पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई जारी रखने के लिए अनिच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि समाज में हमेशा कुछ विवादों को हल करने की आवश्यकता होगी, लेकिन हर समस्या को सीधे शीर्ष अदालत में जाने से हल नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि आपने (भाजपा नेता एवं वकील अश्विनी उपाध्याय, स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती और देवकीनंदन ठाकुर) याचिका दायर की है. नोटिस जारी कर उनका (सरकार का) ध्यान आकृष्ट किया गया है. अब यह उन्हें नीतिगत निर्णय लेना है. हमारा काम खत्म हो गया है. इस मामले में अब 11 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी.


जनसंख्या में चीन को पीछे छोड़ देगा भारत?


संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले वर्ष (2023) में भारत अपने पड़ोसी देश चीन (China) को पीछे छोड़ दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में जाना जाएगा. रिपोर्ट में कहा गया कि नवंबर 2022 के मध्य तक दुनिया की आबादी आठ अरब तक पहुंचने का अनुमान है. विश्व जनसंख्या संभावना 2022 के अनुसार, 15 नवंबर, 2022 को वैश्विक जनसंख्या आठ अरब तक पहुंचने का अनुमान है. वैश्विक जनसंख्या 1950 के बाद से अपनी सबसे धीमी दर से बढ़ रही है, जो एक प्रतिशत से कम हो गई है.


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