Mohan Bhagwat on Veer Savarkar: दिल्ली में एक किताब के विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने वीर सावकर को लेकर कहा कि इस देश में सही मायने में वे एक महान व्यक्ति थे, जिन्होंने राष्ट्रीयता को सर्वोपरि रखा और उन्होंने हिंदुत्व को ही राष्ट्रीयता माना, लेकिन शुरू से ही वीर सावरकर की छवि को खराब करने का प्रयास किया गया. साथ ही उन्होंने कहा कि इस देश में वीर सावरकर के बारे में लोगों के पास कम जानकारी है.
मोहन भागवत दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में केंद्रीय सूचना आयुक्त उदय महुरकर और चिरायु पंडित द्वारा लिखित पुस्तक 'वीर सवारकर; दी मैन हू कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टीशन' के विमोचन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी विशेष रूप से कार्यक्रम में मौजूद रहे.
रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई किताब के विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने कहा, सावरकर जी ने मानवता का ही प्रतिपादन किया है. उन्होंने कभी हिंदू-मुसलमान के बीच कोई अंतर नहीं देखा, लेकिन जिन शक्तियों ने देश में हिंदू-मुसलमान के बीच धर्म के आधार पर भेदभाव उत्पन्न करने की कोशिश की उन्हें जवाब देने के लिए उन्होंने कहा कि हिंदुत्व ही राष्ट्रीयता है. इसका मतलब ये नहीं कि वो मुसलमानों को अलग समझते थे.
भागवत ने कहा, विभाजन के बाद पाकिस्तान गए मुसलमानों का भी आदर नहीं है, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है. सावरकर ने कहा था कि हमारे देश में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के बीच कोई भी अंतर नहीं रहेगा. ये थी सावरकर की सोच.
कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि सावरकर कहते थे कि राष्ट्रनीति के पीछे सुरक्षानीति को होना चाहिए. अब 2014 के बाद पहली बार लग रहा है कि सुरक्षा नीति राष्ट्रनीति के पीछे चल रही है. सावरकर जी शुद्व वैज्ञानिक पद्धति के व्यक्ति थे. कभी भी आंख मूंदकर कोई फैसला नहीं लेते थे, न ही बात मानते थे.
भागवत ने कहा कि गांधी जी और उनके बीच में मतभेद जग जाहिर है, लेकिन उनके मतभेद वैसे ही हैं जैसे एक ही लक्ष्य के लिए काम कर रहे दो लोगों का होता है. उन दोनों लोगों का लक्ष्य राष्ट्र सर्वपरि था. देश में आए आक्रांताओं के महिमामंडन को खारिज करते हुए कहा कि देश में बहुत सारे मुस्लिम राष्ट्रभक्त थे, लेकिन सड़कों के नाम आज भी उनके नाम पर है जिन्होंने देश को लूटने का काम किया. सेना में बहुत से मुस्लिम समुदाय के लोग हैं, देश के बहुत से मुस्लिम राष्ट्रभक्त हैं, जिनके लिए राष्ट्र सर्वोपरी है. उनके नाम पर रोड का नाम रखना चाहिए.
भागवत ने आगे कहा कि देश में अलग तरह का नरेटिव सेट किया जाता है. सावरकर का हिंदुत्व और विवेकानंद का हिंदुत्व ....ये बोलने का फैशन हो गया, लेकिन हिंदुत्व एक है और वो सनातन है. देश को हिंदू-मुस्लिम में बांटने की चाल अंग्रेजों ने चली. तब सावरकर जी ने किताब लिखी थी 'हिंदुत्व'.
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, इस पुस्तक को बहुत मेहनत और शोध के बाद लिखी गई है. वैसे वीर सावरकर जी के जीवन को किताब में समाहित कर पाना मुश्किल है, लेकिन फिर बेहतर तरीके से किताब लिखी गई है. देश के महान विभूतियों को हेय दृष्टि से देखना कतई उचित नहीं माना जा सकता. वीर सावरकर इस देश के महानायक थे, है और रहेंगे. पंडित अटल बिहारी बाजपेई जी ने कहा था सावरकर जी व्यक्ति नहीं विचार हैं.