राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने बुधवार (01 अक्टूबर, 2025) को कहा कि RSS ने पिछले 100 वर्षों से, विरोध के बावजूद, जनता के स्नेह के कारण, सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बनने का प्रयास किया है. होसबोले की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से RSS की शताब्दी के उपलक्ष्य में एक स्मारक डाक टिकट और एक सिक्का जारी करने से कुछ मिनट पहले आई.

Continues below advertisement

उन्होंने इस कदम के लिए सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि यह संघ के ‘निःस्वार्थ’ कार्यों को मान्यता प्रदान करने के समान है. होसबोले ने कहा कि संघ और उसके स्वयंसेवक 1925 में विजयादशमी के अवसर पर डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार की ओर से इसकी स्थापना किए जाने के बाद से ही व्यक्तियों के चरित्र निर्माण के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के अपने मिशन पर बिना किसी स्वार्थ के काम कर रहे हैं.

डाक टिकट और सिक्का जारी करने पर पीएम मोदी का आभार

Continues below advertisement

वह केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. RSS के दूसरे नंबर के पदाधिकारी ने कहा, ‘यह संघ के स्वयंसेवकों और देशभक्तों के लिए खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने इस विशेष अवसर पर एक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का फैसला किया है.’

उन्होंने कहा, ‘विदेश में रहने वाले स्वयंसेवकों सहित सभी स्वयंसेवकों की ओर से, मैं इसके लिए अपना आभार व्यक्त करना चाहता हूं.’ होसबोले ने कहा कि राष्ट्र के प्रति योगदान के लिए व्यक्तियों और संगठनों को सम्मानित करना भारत में एक लंबे समय से चली आ रही परंपरा रही है.

'RSS के 100 सालों की यात्रा दिलचस्प'

उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार ने इस परंपरा को जारी रखा है. मेरा मानना ​​है कि इस तरह संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर भारत के लोगों की ओर से संघ के कार्यों को मान्यता दी गई है.’ होसबोले ने RSS के 100 वर्षों को एक ‘दिलचस्प’ यात्रा बताया और कहा कि देश के लोगों की ओर से संघ के विचारों को मिले प्यार, समर्थन और स्वीकृति के कारण ही संघ इतनी दूर तक पहुंच पाया है.

उन्होंने कहा, ‘संघ को हर तरह के विरोध, संघर्ष और उदासीनता का सामना करना पड़ा, लेकिन उस दिन से (RSS की स्थापना के दिन से) संघ कार्यकर्ताओं ने लोगों की आत्मीयता, स्नेह, समर्थन और सहयोग का अनुभव किया है. RSS का विचार भारत का विचार है, जो इसकी जड़ों, इसकी संस्कृति और इसकी सभ्यता में समाहित है.'

'समाज को जागृत करने का काम कर रहा संघ'

उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों से भारत के लोग इस विचार का पालन करते रहे हैं, इसे जीते रहे हैं और एक श्रेष्ठ समाज के निर्माण के संकल्प के साथ इसे आगे बढ़ाते रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘हम उस विचार, उस जीवन दर्शन, उस संस्कृति की पहचान हैं. संघ के विचार ने लोगों में फिर से आनंद जगाया है और उनमें यह विश्वास भरा है कि वे दुनिया में ‘सर्वश्रेष्ठ समाज’ के रूप में उभरने में सक्षम है.

होसबोले ने कहा, ‘आज देश संघ को देशभक्ति, अनुशासन और निस्वार्थ सेवा के एक प्रभावशाली और सफल प्रतीक के रूप में देखता है. संघ, समाज को संगठित करने और उसके पुरुषार्थ को जागृत करने का प्रयास कर रहा है, ताकि वह अपने रास्ते में आने वाली सभी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो सके.'

स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने पर बल

होसबोले ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में दुनिया के सामने भारत की ‘विकृत’ छवि पेश करने के दुर्भावनापूर्ण प्रयास किए गए हैं. पिछले कुछ वर्षों में, हमारे कार्यों की सफलता से देश और सरकारों की तस्वीर बदली है. एक नया रास्ता सामने आया है. हमें देश के भीतर और वैश्विक मंच पर भी भारत के विमर्श को मजबूत करना होगा.

उन्होंने कहा, ‘दुनिया भर में, भारत के बारे में भारत का विमर्श सकारात्मक और सत्य पर आधारित होना चाहिए. अपनी शताब्दी के इस अवसर पर संघ का यही विचार है.’ समाज में पांच गुना परिवर्तन लाने के RSS के एजेंडे के तहत, होसबोले ने लोगों से स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने और अपनाने और भारत को आत्मनिर्भर बनाने का आह्वान किया.

होसबोले ने बताया, RSS का क्या है एजेंडा?

उन्होंने कहा कि अपने ‘पंच परिवर्तन’ एजेंडे के साथ, RSS देश के लोगों में ‘भारतीय’ मूल्यों, सही पारिवारिक मूल्यों, सामाजिक सद्भाव, पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली अपनाने और अपने नागरिक कर्तव्यों का पालन करने के साथ ‘स्व’ की भावना का संचार करना चाहता है.

ये भी पढ़ें:- DA Hike: दशहरा से पहले मोदी सरकार का केंद्रीय कर्मचारियों को तोहफा, बढ़ गया महंगाई भत्ता