Bihar Politics: बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ सामने आया है, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के प्रमुख पशुपति पारस ने आगामी 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही है. यह बयान ऐसे समय में आया है, जब बिहार में राजनीतिक गणित में लगातार बदलाव हो रहे हैं और पारस की पार्टी की स्थिति भी साफ नहीं है.

शुक्रवार (6 दिसंबर 2024) को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पशुपति पारस ने कहा, "हमारी पार्टी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. हमारे कार्यकर्ता सभी बूथों पर चुनावी तैयारी में लगे हैं." उन्होंने आगे कहा कि अगर गठबंधन से समझौता होता है और उन्हें मनपसंद सीटें मिलती हैं, तो वह सहयोगी दलों के साथ चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं, लेकिन यदि उनकी पार्टी को उचित सीटें नहीं दी जातीं तो वह अकेले चुनावी मैदान में उतरेंगे.

पारस और चिराग पासवान के बीच पार्टी में हुए विवाद का बैकग्राउंड

पशुपति पारस, रामविलास पासवान के छोटे भाई हैं. उनके निधन के बाद से लोक जनशक्ति पार्टी को विवाद और टूट का सामना करना पड़ा. रामविलास के बेटे चिराग पासवान और पशुपति पारस भले ही पार्टी तोड़कर अलग-अलग हो गए, लेकिन दोनों नेता एनडीए गठबंधन के बैनर तले हैं. पशुपति पारस ने 2021 में लोजपा के अध्यक्ष पद पर कब्जा किया और केंद्र सरकार में मंत्री बन गए थे. 

बिहार का सियासी गणित

बिहार की राजनीति में गठबंधनों का अहम स्थान है. राज्य में अब तक के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जदयू (JD(U)) का गठबंधन रहा है, लेकिन पशुपति पारस के इस बयान से एनडीए (NDA) के अंदर एक नई टेंशन बढ़ गई है. बीजेपी की सहयोगी पार्टी होने के बावजूद पारस का यह रुख संकेत देता है कि वह बिहार में बीजेपी गठबंधन से खुश नहीं हैं और किसी भी समझौते के बिना चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं. अब देखना यह है कि पशुपति पारस के इस बयान का बिहार में सियासी समीकरण पर क्या असर होता है और भाजपा बिहार में अपने सहयोगियों के साथ कैसे तालमेल बैठाती है.

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