नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है और यह संविधान के आर्टिकल 21 यानी जीने के अधिकार के तहत आता है. संविधान में पहले इसका जिक्र नहीं था, लेकिन अब ये मौलिक अधिकार की श्रेणी में ही आएगा. यानी अब आपकी निजी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाएगी. इस फैसले का सीधा असर आधार कार्ड और दूसरी सरकारी योजनाओं पर पड़ेगा.


आधार कार्ड पर अभी फैसला नहीं

हालांकि, इस फैसले से आधार की वैधता तय नहीं होती. इसपर पांच जजों की पीठ फैसला करेगी. यानी आधार पर अब अलग से सुनवाई होगी. पांच जजों की बेंच अब आधार मामले में ये देखेगी कि लोगों से लिया गया डेटा निजता के मौलिक अधिकारों के दायरे में है या नहीं.

बता दें कि याचिकाकर्ताओं ने आधार के लिए बायोमेट्रिक जानकारी लेने को निजता का हनन बताया था, जबकि सरकार की दलील थी कि निजता का अधिकार अपने आप में मौलिक अधिकार नहीं है. अगर इसे मौलिक अधिकार मान लिया जाए तो व्यवस्था चलाना मुश्किल हो जाएगा. कोई भी निजता का हवाला देकर ज़रूरी सरकारी काम के लिए फिंगर प्रिंट, फोटो या कोई जानकारी देने से मना कर देगा.

सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले से क्या असर पड़ेगा?

अब आपकी निजी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाएगी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निजता की सीमा तय करना संभव है. इस फैसले का सबसे बड़ा असर ये होगा कि भविष्य में सरकार के किसी भी नियम-कानून को इस आधार पर चुनौती दी जा सकेगी कि वो निजता के अधिकार का हनन करता है.

हालांकि, किसी भी मौलिक अधिकार की सीमा होती है. संविधान में बकायदा उनका ज़िक्र है. कोर्ट को निजता की सीमाएं भी तय करनी पड़ेंगी. ऐसा नहीं हो सकता की निजता कि दलील देकर सरकार का हर काम ही ठप करा दिया जाए. यानी कल को कोई ये कहना चाहे कि वो बैंक एकाउंट खोलने के लिए अपनी फोटो या दूसरी निजी जानकारी नहीं देगा तो ऐसा नहीं हो सकेगा.