सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी व्यक्ति को निश्चित अवधि की सजा हुई हो, तो उस अवधि के समाप्त होते ही उसे रिहा कर दिया जाना चाहिए. उसे दूसरे कैदियों की तरह सजा में छूट के लिए सरकार को आवेदन देने की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने यह अहम फैसला नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी सुखदेव पहलवान की याचिका पर दिया है.
सुखदेव पहलवान की रिहाई का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने 30 जुलाई को ही दे दिया था. अब कोर्ट का विस्तृत फैसला आया है. सुप्रीम कोर्ट ने देश भर की जेलों में बंद उन सभी कैदियों की तत्काल रिहाई का आदेश दिया है, जो कोर्ट से मिली निश्चित अवधि की उम्र कैद की सजा पूरी कर चुके हैं.
सुखदेव पहलवान ने याचिका में कहा था कि उसे इस केस में 20 साल की सजा मिली थी. 20 साल की अवधि 10 मार्च, 2025 को पूरी हो गई, लेकिन उसे रिहा नहीं किया गया. उसने दिल्ली सरकार के सजजा रिव्यू बोर्ड को रिहाई का आवेदन दिया, लेकिन बोर्ड ने मना कर दिया.
नीतीश कटारा की मित्रता बाहुबली डी पी यादव की बेटी भारती से थी. 16 फरवरी, 2002 की रात गाजियाबाद में एक शादी समारोह में भारती और नीतीश साथ थे. यह देख कर भारती का भाई विकास बेहद गुस्से में आ गया. उसने अपने चचेरे भाई विशाल के साथ मिलकर नीतीश को अगवा कर लिया. गाजियाबाद से करीब 80 किलोमीटर दूर ले जाकर हथौड़े से उसकी हत्या कर दी. सुखदेव पहलवान ने इसमें उनका साथ दिया.
30 मई 2008 को निचली अदालत ने विकास, विशाल और सुखदेव पहलवान को उम्र कैद की सजा दी. 2 अप्रैल 2014 को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस फैसले को सही ठहराया. हाई कोर्ट ने विकास और विशाल को 25-25 साल और सुखदेव को 20 साल की सजा दी. नीलम कटारा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दोषियों के लिए फांसी की मांग की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले में बदलाव नहीं किया.