नई दिल्ली: भारतीय दूतावास ने चीन के बंदरगाहों पर महीनों से फंसे भारतीय नाविकों की मौजूदा स्थिति को लेकर चीन सरकार के साथ संपर्क में है. चीन के अधिकारियों की तरफ से बताया गया है कि कोविड-19 की पाबंदियों के कारण फिलहाल नाविक दल के बदलाव की इजाजत नहीं दी जा रही है. इस बारे में जहाज की संचालक कंपनियों और कार्गो मंगवाने वाले रीसीवर पक्ष को भी बता दिया गया है. इस मामले के समाधान और मानवीय आधार पर नाविकों को परेशानियों के निदान के लिए हमारा चीन स्थित दूतावास चीनी प्रशासन के संपर्क में है.


उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस को लेकर चीन और ऑस्ट्रेलिया के रिश्तों में लगी विवादों की आग अब कोयला युद्ध में बदल चुकी है. वहीं इस लड़ाई ने 40 से अधिक भारतीय जिंदगियों को सांसत में डाल दिया है, जो बीते कई महीनों से चीन तट के करीब समंदर में नजरबंदी की हालत में हैं. ऑस्ट्रेलिया से कोयला लेकर पहुंचे भारतीय नाविक दल वाले दो जहाज़ों को चीन सरकार न तो माल उतारने दे रही है और न वापस लौटने दे रही है. वहीं भारत-चीन सीमा तनाव के उलझे तानेबाने ने भी समाधान की कोशिशों को पेचीदा कर रखा है.


उत्तरी चीन के कोफीडियन तट के पास अगस्त 2020 से अटके जहाज़ अनास्तासिया के 2nd ऑफिसर गौरव सिंह बताते हैं कि विभिन्न सरकारों के बीच उलझे इस मसले में अभी यह अनुमान लगाना भी मुश्किल है कि देश वापसी का रास्ता कब और कैसे निकलेगा. अनास्तासिया पर नाविक दल के 18 सदस्य हैं जो सभी अपने परिवार के पास लौटना चाहते हैं. लेकिन चीन सरकार की पाबंदियों के चलते न तो जहाज़ कम्पनी अपने नाविक दल को बदल पा रही है और ना ही उन्हें तट पर जाने की इजाजत दी जा रही है. इतना ही नहीं सख्त हिदायत है कि अगर जहाज़ को हटाकर किसी और जगह ले जाने की कोशिश की गई तो उसे गिरफ्तार ओर लिया जाएगा.


अनास्तासिया पर मौजूद गौरव एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताते हैं कि उनका जहाज़ 16 जुलाई को ऑस्ट्रेलिया के हे-पॉइंट से करीब 90 हज़ार टन कोयला लेकर रवाना हुआ था. जहाज़ अगस्त के पहले सप्ताह में उत्तरी चीन के कोफीडियन बंदरगाह पहुंचा तो बताया गया कि उसे ऑस्ट्रेलिया से लाए गए कोयले को उतारने की इजाजत नहीं है. साथ ही पोत को एंकरेज एरिया में खड़े रहने के लिए कह दिया गया जहाँ बीते चार महीनों से एक नजरबंदी की स्थिति में जहाज खड़ा है. हालत यह है कि मेडिकल ज़रूरतों के लिए भी तट पर जाने की इजाजत नहीं है.


जहाज़ अनास्तासिया की तरह ही कहानी भारतीय नाविक दल वाले जहाज़ जग आनंद की है जो और भी पहले से जिंतांग तट के करीब लंगर डाले खड़ा है. मुंबई की द ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग कम्पनी का यह जहाज़ भी ऑस्ट्रेलिया से करीब डेढ़ लाख टन लेकर जून में चीन तट पर पहुंचा था.


जहाज़ पर मौजूद वीरेन्द्र सिंह भोसले ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि पूरा नाविक दल एक ट्रेड वॉर के बीच बंधक बनकर रह गया है. वहीं मामले में भारत में शिपिंग मन्त्रालय, महानिदेशक शिपिंग, भारतीय दूतावास से लेकर चीन सरकार तक कई बार अपील करने के बाद भी अब तक कोई सुनवाई नहीं है. चालक दल के कई सदस्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों और अवसाद से गुज़र रहे हैं. जग आनंद पर मौजूद एक अन्य सदस्य सागर म्हात्रे कहते हैं कि उन्हें जहाज़ पर 12 महीने पूरे हो चुके हैं. लेकिन अभी तक वतन वापसी का कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा है.


इस बारे में पूछे जाने पर शिपिंग मन्त्रालय के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि चीन में फँसे भारतीय चालक दल के सदस्यों की वापसी के मामले को विदेश मंत्रालय के साथ उठाया गया है. चीन सरकार के साथ बात कर समाधान का रास्ता क्या.हो सकता है वो विदेश मंत्रालय ही बता सकता है.


वहीं विदेश मंत्रालय के आधिकारिक सूत्र इस बारे में फिलहाल इतना ही बताते हैं कि मामला सरकार के संज्ञान में है. इस विषय को चीनी पक्ष के साथ उठाया भी गया है. किसी सकारात्मक नतीजे की स्थिति में ही आगे कार्रवाई सम्भव है.


बहरहाल, ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच बढ़े कारोबारी तनाव में अनास्तासिया और जग आनंद जैसे जहाज़ अकेले नहीं हैं. स्टील इंडस्ट्री के लिहाज़ से अहमउत्तरी चीन के क़ई बन्दगाहों पर ऐसे क़ई जहाज़ लाखों टन कोयले के साथ लंगर डाले खड़े हैं. कोरोना वायरस को लेकर ऑस्ट्रेलिया की तरफ से चीन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय जाँच की माँग बुलंद करने के बाद से दोनों के रिश्तों में तल्खी लगातार बढ़ी है. इस कड़ी में ही चीन ने ऑस्ट्रेलिया से आयात होने वाले कोकिंग कोयले पर प्रतिबंध लगा दिया है.