जम्मू: जम्मू में गुरुवार को पाकिस्तान से विस्तापित हुए लाखों पाकिस्तानी रिफ्यूजी ने काला दिवस मनाया. इन रिफ्यूजीयो की मांग है कि चीन और पाकिस्तान मिलकर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में उनकी जमीनों पर अवैध कब्जा कर रहे हैं, जिसे रोकने के लिए भारत सरकार को तुरंत कदम उठाने चाहिए.


अपने परिजनों के नरसंहार के विरोध में जम्मू में प्रदर्शन कर रहे हैं यह वो रिफ्यूजी है, जिन्हने पाकिस्तानी हमले के बाद 1947 में आज ही के दिन अपना घर बार छोड़ा था. दरअसल, 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान के कबाइलियों ने पुँछ, मुज़फ़्फ़राबाद, कोटली, भिम्बर और छम्ब समेत कई इलाकों पर हमला कर करीब 70 हज़ार लोगों को मौत के घाट उतार दिया था.


शहीदों की याद में जम्मू में रह रहे पाकिस्तानी रिफ्यूजी यह दिन मनाते है


इन्ही शहीदों की याद में जम्मू में रह रहे पाकिस्तानी रिफ्यूजी यह दिन मनाते है. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से विस्थापित हुए लोगों का दावा है कि आज ही के दिन 1947 में पाकिस्तानी सेना ने सबसे पहला मानवाधिकार उल्लंघन कर इनके परिजनों को मौत के घाट उतारा था. इन लोगों का आरोप है कि इस नरसंहार के बीच कई परिवारों ने जहां अपनों को खोया वहीं कहीं परिवार भागकर जम्मू में आकर बस गए.


आरोप है कि चीन और पाकिस्तान मिलकर इनकी जमीनों पर अवैध कब्जा कर रहे हैं


कई परिवारों को इस बात का भी दुख है कि उन्हें यह तक नहीं पता कि उनके परिजन, जिनको पाकिस्तानियों ने मारा था, उनका बाद में क्या हश्र हुआ. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से भागकर आए इन लोगों का आरोप है कि चीन और पाकिस्तान मिलकर इनकी जमीनों पर अवैध कब्जा कर रहे हैं और वहां पर निर्माण कार्य जोरों से चल रहा है.


इन रिफ्यूजीयो ने भारत सरकार से गुहार लगाई है कि वह तुरंत चाइना और पाकिस्तान के कब्जाई जा रही इनकी भूमि के मामले में हस्तक्षेप करें और इस अवैध निर्माण को रोके.


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