दिल्ली के लाल किले के पास सोमवार को हुए कार ब्लास्ट की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे पुलिस और जांच एजेंसियों को नए सुराग मिल रहे हैं. अब जांच टीमों ने देशभर से कम से कम पांच और लोगों को हिरासत में लिया है, जिनमें दो डॉक्टर और फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी के दो स्टाफ शामिल हैं. इसके साथ ही एक और डॉक्टर की तलाश तेज हो गई है, जो दो अन्य संदिग्धों के साथ तुर्की गया था.

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यूपी से दो डॉक्टर हिरासत में, दोनों कश्मीर मूल केउत्तर प्रदेश से दो डॉक्टरों को उठाया गया है. कानपुर के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मोहम्मद आरिफ मीर (32) और हापुड़ के जीएस मेडिकल कॉलेज में कार्यरत डॉ. फारुख, जो मूल रूप से जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं. दोनों पर संदेह है कि उनका संपर्क डॉ. शाहीन शाहिद से था, जिन्हें इसी महीने फरिदाबाद से गिरफ्तार किया गया था. एटीएस के अनुसार, डॉ. मीर को बुधवार रात कानपुर से और डॉ. फारुख को गुरुवार दोपहर हापुड़ से हिरासत में लेकर पूछताछ के लिए दिल्ली भेजा गया. पुलिस ने डॉ. मीर के कमरे की तलाशी लेकर उनका लैपटॉप और फोन जब्त कर लिए हैं.

संदिग्धों के बीच जुड़ाव की कड़ीजांच में पता चला है कि डॉ. मीर का संबंध उस डॉ. उमर उन नबी से जुड़ सकता है, जिसने लाल किले के पास विस्फोट वाली कार चलाई थी. दोनों की पहचान कश्मीर के एक मेडिकल कॉलेज के दौरान हुई थी. इसी तरह डॉ. फारुख की पढ़ाई डॉ. मुजम्मिल गनई के साथ हुई थी, जिन्हें फरीदाबाद में एक ऐसे कमरे से पकड़ा गया था, जहां से विस्फोटक सामग्री मिली थी. जांच एजेंसियों को शक है कि कश्मीर मूल के कुछ "व्हाइट कॉलर" मेडिकल प्रोफेशनल्स को एक संगठित मॉड्यूल के तहत आतंकी नेटवर्क में जोड़ने की कोशिश की जा रही थी.

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अल-फलाह यूनिवर्सिटी का स्टाफ भी हिरासत मेंफरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी के स्टाफ मोहम्मद जामिल उर्फ जमील को भी एनआईए ने हिरासत में लिया है. उस पर आरोप है कि वह कश्मीर के डॉक्टरों की भर्ती में अप्रत्यक्ष रूप से मदद कर रहा था और कई नियुक्तियां संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थीं. जमील के फोन और लैपटॉप से एन्क्रिप्टेड मैसेज और कोडेड डेटा मिला है, जो नेटवर्क से जुड़ाव की ओर इशारा करता है.

इसके अलावा यूनिवर्सिटी के कम्पाउंडर वासिद खान और उसके साले मोहम्मद फहीम को भी पकड़ा गया है, क्योंकि विस्फोट में शामिल लाल रंग की फोर्ड इकोस्पोर्ट गाड़ी फहीम के घर से बरामद हुई थी.

तुर्की यात्रा वाला डॉक्टर फरार, तलाश जारीजांच में एक और नाम डॉ. मुजफ्फर अहमद राठर का सामने आया है, जो संदिग्ध उमर उन नबी और मुजम्मिल गनई के साथ वर्ष 2022 में तुर्की गया था. सूत्रों के अनुसार, तुर्की में इन तीनों की मुलाकात जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के हैंडलर्स से हुई थी. डॉ. मुजफ्फर इस समय देश में नहीं है और अगस्त में दुबई गया था. जांच एजेंसियों को शक है कि वह अभी भी दुबई में छिपा हो सकता है या फिर अफगानिस्तान की ओर भागने की कोशिश कर रहा हो. जांच में यह भी सामने आया है कि डॉ. मुजफ्फर, डॉ. अदील अहमद राठर का बड़ा भाई है, जिसे यूपी के सहारनपुर से एक अन्य मामले में पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. दोनों भाई कश्मीर के अनंतनाग के रहने वाले हैं.