चीन को टक्कर देने के लिए भारत की कंपनी टाटा ग्रुप ने भी जासूसी सैटेलाइट तैयार की है. अंतरिक्ष में मौजूद कई देशों की सैटेलाइट में से सबसे ज्यादा चीन के हैं. इनमें से कई का इस्तेमाल उसकी सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए करती है. इस दिशा में पहली बार निजी क्षेत्र की कंपनी टाटा एडवांस्ट सिस्टम लिमिटेड (TASL) ने भारतीय सेना की मदद के लिए मिलिट्री ग्रेड स्पेस सैटेलाइट तैयार किया है. इसके लिए टाटा समूह के मालिक रतन टाटा ने एलन मस्क से हाथ मिलाया है. यह सैटेलाइट एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के रॉकेट से अप्रैल में लॉन्च किया जाएगा. 


इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया कि यह निजी कंपनी का पहला स्पाई सैटेलाइट होगा, जिसको TASL फ्लोरिडा भेजेगा और वहां से अप्रैल में स्पेसएक्स रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा. पिछले कुछ सालों में भारत ने अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने की तरफ और ज्यादा ध्यान केंद्रित किया है. इस दिशा में भारत के लिए यह कदम और ज्याद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. 


रूसी अखबारों में भी इस बात को लेकर काफी चर्चा है कि मिसाइल लॉन्चिंग के मामले में इस साल भारत रूस से आगे निकल जाएगा. यूक्रेन के साथ युद्ध के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस नई मिसाइलों की लॉन्चिंग के मामले में काफी पीछे हो गया है. मिसाइल लॉन्चिंग के साथ यह भी महत्वपूर्ण बात है कि भारत सैन्य उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अंतरिक्ष का उपयोग करने पर जोर दे रहा है. सैन्य गतिविधियों और विरोधियों की निगरानी के साथ स्पाई सैटेलाइट्स का इस्तेमाल सैटेलाइट-लिंक्ड मानवरहित चालक विमान (UAV) के लिए भी किया जाएगा, जिन्हें इंडियन आर्मी अपने बेड़े में शामिल करेगी.


भारतीय सेना के पास पहले से ही इजरायली हर्मीस-900 है और अमेरिकन MQ-9B को भी सेना के बेड़े में शामिल करने की योजना है. हालांकि, चीन की तुलना में अभी भारत के पास सैटेलाइट्स की संख्या काफी कम है. लंदन-बेस्ड इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फोर स्ट्रेटेजिक स्टडीज की ओर से पब्लिश मिलिट्री बैलेंस रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019 में चीन के पास 66 स्पाई सैटेलाइट थीं, जिनकी संख्या 2022 में 136 हो गई.


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