Ram Vilas Paswan Birth Anniversary Special: लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक और दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की 5 जुलाई को जयंती है. देश के प्रमुख दलित नेताओं में उनका नाम शुमार था. वह ऐसे नेता थे जिन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर 'सरकार' ही बनना तय किया था. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने एक बार व्यंग्य करते हुए रामविलास पासवान को 'राजनीति का मौसम विज्ञानी' कहा था, जिसके बाद यह तमगा उनके साथ बना रहा. 


पासवान कैसे बने राजनीति के मौसम वैज्ञानिक?


लोकसभा चुनाव 2009 से करीब तीन महीने पहले तत्कालीन केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को बिहार में कांग्रेस को कुछ और सीटें देने का सुझाव दिया था. उन्होंने आशंका जताई थी कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो यूपीए से बाहर होने का जोखिम रहेगा.


उस दौरान यूपीए-1 की सरकार में लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे. कैबिनेट में अपने साथी रामविलास पासवान के सुझाव पर लालू यादव ने ध्यान नहीं दिया. 2009 के लोकसभा चुनाव का जब नतीजा आया तो लालू यादव की आरजेडी को भारी नुकसान हुआ. रामविलास पासवान भी हाजीपुर से हार गए थे.


पासवान की भविष्यवाणी के अनुसार कांग्रेस लगातार दूसरी बार सत्ता में आ गई थी. तब से लालू यादव ने रामविलास पासवान को मौसम वैज्ञानिक कहना शुरू कर दिया था, जिसका मतलब था कि राजनीति में हवा का रुख किस तरफ है, पासवान उसे पहले ही भांप लेते थे. 


लालू यादव ने निजी तौर पर भी स्वीकार किया था कि पासवान का सुझाव न मानना उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक भूलों में से एक थी क्योंकि आरजेडी को यूपीए से बाहर कर दिया गया था और 2013 में राजद प्रमुख को जेल जाना पड़ा था.


छह प्रधानमंत्रियों के साथ किया काम


2014 के लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान, उनके बेटे चिराग पासवान एलजेपी के उन छह सांसदों में शामिल थे जो मोदी लहर में जीते थे. रामविलास पासवान एक एकमात्र ऐसे केंद्रीय मंत्री थे जिन्होंने छह प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया था. 2014 में मोदी सरकार में शामिल होने से पहले पासवान ने वीपी सिंह, एचडी देवगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह की सरकार में काम किया था. वह पहली और दूसरी मोदी सरकार में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री बने थे. 


रामविलास पासवान का राजनीतिक करियर


पासवान 9 बार लोकसभा सांसद और 2 बार राज्यसभा सांसद रहे थे. राजनीतिक करियर की शुरुआत उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य के रूप में की थी और 1969 में बिहार विधानसभा के लिए चुने गए थे. लोक दल का गठन होने पर पासवान में इसमें शामिल हो गए थे और पार्टी में महासचिव बनाए गए थे. 


देश में इमरजेंसी का विरोध करने वाले नेताओं में पासवान भी शामिल थे और उन्हें जेल जाना पड़ा था. 1977 वह पहली बार हाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र से जनता पार्टी के सदस्य के रूप में लोकसभा पहुंचे थे. इसके बाद वह 1980, 1989, 1991 (रोसड़ा), 1996, 1998, 1999, 2004 और 2014 में फिर से सांसद चुने गए थे.


2000 में उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया और इसके प्रमुख बने. 2004 में वह यूपीए सरकार में शामिल हो गए थे और रसायन और उर्वरक मंत्रालय और इस्पात मंत्रालय में केंद्रीय मंत्री बने. 2021 में रामविलास पासवान को मरणोपरांत भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.


राजनीति के लिए छोड़ दी थी बिहार पुलिस की नौकरी


रामविलास पासवान का जन्म 5 जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया जिले के शहरबन्नी में रहने वाले एक परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम जामुन पासवान और माता का नाम सिया देवी है. 'पासवान' शब्द का अर्थ अंगरक्षक या प्रहरी के तौर पर बताया जाता है.


पासवान ने कानून में ग्रेजुएशन किया था. बाद में उन्होंने एमए की डिग्री भी हासिल की थी. 1969 में बिहार पुलिस में पुलिस उपाधीक्षक (DSP) के तौर पर उनका चयन हो गया था. उसी वर्ष संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर वह पहली बार विधायक बने थे.


खुद बन गए 'सरकार'


अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत के बारे में रामविलास पासवान ने एक बार दिलचस्प जिक्र किया था. उन्होंने बताया था, ''1969 में मेरा पुलिस और विधानसभा, दोनों में एक साथ सिलेक्शन हुआ. तब मेरे एक मित्र ने पूछा कि बताओ सरकार बनना है या सर्वेंट? तब मैंने राजनीति चुन ली.'' 8 अक्टूबर 2020 को लंबी बीमारी के बाद 74 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया था.


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