Mumbai Court Hearing on Anil Deshmukh and Nawab Malik Voting Plea: राज्यसभा चुनाव में वोट डालने को लेकर अनिल देशमुख और नवाब मलिक की याचिका पर आज मुंबई के एक कोर्ट में सुनवाई हुई. नवाब मलिक (Nawab Malik) के पक्ष में वरिष्ठ वकील अमित देसाई (Advocate Amit Desai) ने दलीलें दी. वही अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) के पक्ष में दलील रखने के लिए वरिष्ठ वकील आबाद पोंडा (Abad Ponda) कोर्ट में उपस्थित हुए. प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी (ED) की तरफ से एएसजी अनिल सिंह ने दलीलें रखी. नवाब मलिक के वकील अमित देसाई ने कहा कि भ्रष्टाचार के कारण मतदान से अयोग्यता उत्पन्न होती है. मैं अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने पर मेरी जमानत से इनकार करने के लिए सहमत हूं लेकिन मेरे मामले में, नवाब मलिक को दोषी नहीं ठहराया गया है.


वकील अमित देसाई ने कोर्ट में पक्ष रखते हुए कहा कि नवाब मलिक को अपना कर्तव्य निभाने देना चाहिए. जनता के प्रति कर्तव्य का पालन करने देना चाहिए. वही वरिष्ठ वकील आबाद पोंडा ने अनिल देशमुख के लिए पक्ष रखा और कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के तर्क के अनुसार अगर कोई व्यक्ति हिरासत में है तो कोई मतदान नहीं कर सकता है लेकिन यह सभी मामलों के लिए नहीं बल्कि कुछ मामलों के लिए लागू होता है.


नवाब मलिक के वकील की दलीलें


वरिष्ठ वकील अमित देसाई ने कोर्ट में पक्ष रखते हुए कहा कि नवाब मलिक को अपना कर्तव्य निभाने देना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैं अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने पर मेरी जमानत से इनकार करने के लिए सहमत हूं लेकिन मेरे मामले में, नवाब मलिक को दोषी नहीं ठहराया गया है. नवाब मलिक मौजूदा विधायक हैं और अभी भी कैबिनेट मंत्री है. अदालत को मताधिकार से वंचित करने का आधार नहीं बनना चाहिए.


राज्यसभा चुनाव में वोटिंग के लिए याचिका


नवाब मलिक के वकील अमित देसाई ने कहा कि जो याचिका दायर की गई है वो 10 जून के लिए है और वो भी कुछ घंटों के लिए मतदान करने के सीमित समय के बारे में है. ईडी ने हमारे आवेदन का विरोध करने के लिए संक्षिप्त जवाब दिया है. अगर तकनीकी रूप से देखा जाए तो वह अस्पताल में हैं, जेल में नहीं. उन्होंने आगे कहा कि मेरा मुद्दा द्विवार्षिक चुनाव का है, आम चुनाव का नहीं. अगर कोई व्यक्ति जेल में है तो वह वोट नहीं दे सकता. मैं (नवाब मलिक) अस्पताल में हूं, और इसलिए मैं कह रहा हूं, मुझे एक एस्कॉर्ट दें और मैं जाऊंगा और वोट दूंगा. कोर्ट अपने विवेक का इस्तेमाल कर सकता है.


अनिल देशमुख के वकील ने क्या दी दलीलें?


अमित देसाई की बात पूरी होने के बाद अनिल देशमुख (Anil Deshmukh ) के लिए वकील आबाद पोंडा ने अदालत के सामने पक्ष रखा. ईडी के तर्क के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति हिरासत में है तो कोई मतदान नहीं कर सकता. लेकिन यह सभी मामलों पर नहीं बल्कि कुछ श्रेणियों के लिए लागू होता है. कुछ शर्तें रखी जा सकती हैं. मुझे पीएमएलए (PMLA) की धारा 45 के तहत जमानत दें या मुझे एक दिन के लिए रिहा कर दें. या फिर मुझे एस्कॉर्ट्स के साथ कारावास से मुक्त करें. बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि कैदियों को वोट देने का कोई अधिकार नहीं है.


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