Rajya Sabha Election 2022: संसद के उच्च सदन राज्यसभा के लिए चुनाव होने जा रहे हैं. तमाम राज्यों में राजनीतिक दल अपने-अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर रहे हैं और समीकरण बिठाए जा रहे हैं. ये चुनाव राज्यसभा की कुल 57 सीटों पर होने जा रहे हैं, जिसके लिए 10 जून को वोटिंग होगी. क्योंकि जून से लेकर अगस्त तक इस साल राज्यसभा के कई सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है और वो रिटायर हो जाएंगे, ऐसे में उनकी जगह नए उम्मीदवारों का नामांकन हो रहा है, वहीं कई सदस्य ऐसे हैं जो एक बार फिर राज्यसभा सीट (Rajya Sabha Seats) के लिए अपना दावा ठोक रहे हैं. आइए जानते हैं तमाम बड़े राज्यों में इस चुनाव को लेकर क्या समीकरण बन रहे हैं और उच्च सदन के लिए कैसे सदस्यों का चुनाव होता है. 


राज्यों को किस आधार पर मिलती हैं सीटें?
राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 250 होती है, लेकिन इनमें से 12 सदस्यों को राष्ट्रपति की तरफ से मनोनीत किया जाता है. बाकी 138 सदस्यों का चुनाव राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि करते हैं. इसके लिए अलग-अलग प्रदेशों में सीटों का बंटवारा होता है. किस राज्य को कितनी सीटें मिलेंगीं ये उसकी जनसंख्या पर निर्भर करता है, जितनी ज्यादा जनसंख्या होगी, राज्य को उतनी ही ज्यादा सीटें मिलती हैं. सबसे बड़े राज्य यूपी को इसीलिए सबसे ज्यादा 31 राज्यसभा सीटें मिलती हैं. 


कैसे चुने जाते हैं राज्यसभा सदस्य?
हमने आपको बताया कि राज्यसभा सदस्यों का चुनाव अलग-अलग प्रदेशों से चुने गए विधायक करते हैं. विधायक एक समय में एक ही उम्मीदवार को वोट कर सकता है, लेकिन कुछ सूरत में ये वोट ट्रांसफर भी हो सकता है. अगर जिस उम्मीदवार को वोट डाला गया है, वो पहले ही जीत चुका है तो ऐसे में वोट ट्रांसफर हो सकता है. वहीं दूसरी सूरत ये है कि अगर किसी उम्मीदवार को इतने कम वोट मिले हैं कि उसके जीतने की उम्मीद ना हो. इसके लिए विधायक उम्मीदवारों के नाम के आगे प्राथमिकता के आधार पर 1 से लेकर 4 तक नंबर लिख देते हैं. 


ये है वोटिंग का फॉर्मूला
पहली प्राथमिकता वाले वोटों का भी एक नंबर तय होता है. यानी एक उम्मीदवार को जीत के लिए कितने वोट चाहिए ये पहले से कुल विधायकों की संख्या और कुल राज्यसभा सीटों पर होने वाले चुनाव के गणित से तय किया जाता है. इसके लिए जिस फॉर्मूले का इस्तेमाल होता है उसमें - राज्य के कुल विधायकों की संख्या को राज्यसभा सीटों पर होने वाले चुनाव के नंबर में 1 जोड़कर भाग दिया जाता है और इसमें पहली वरीयता वाला वोट जोड़कर जो नंबर सामने आता है, वही जीत के लिए जरूरी अंक होता है. जैसे - यूपी में कुल विधानसभा सीटों की संख्या 403 है, इस बार राज्य की 11 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहा है. तो फॉर्मूला कुछ ऐसा होगा - 403/ [11+1] +1 = 34 ... यानी उम्मीदवार को जीत के लिए 34 पहली वरीयता वाले वोटों की जरूरत होगी. 


यूपी में एनडीए को सबसे ज्यादा सीटें
राज्यों में सबसे पहले बात सबसे बड़े राज्य यूपी की कर लेते हैं. क्योंकि उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने एक बार फिर प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई है, तो ऐसे में ये साफ हो चुका है कि फिर एक बार यूपी की सबसे ज्यादा सीटें एनडीए की झोली में गिरेंगीं. इस बार एनडीए 11 सीटों में से 8 सीटों पर आसानी से जीत दर्ज करता दिखाई दे रहा है. वहीं सपा गठबंधन भी तीन सीटों पर जीत दर्ज कर सकता है. लेकिन बसपा और कांग्रेस के खाते में इस बार कोई भी सीट जाती नहीं दिख रही है. हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को महज दो और बसपा को एक सीट मिली थी. 


यूपी से बीजेपी के राज्यसभा उम्मीदवारों में जफर इस्लाम, शिव प्रताप शुक्ला, संजय सेठ, सुरेंद्र नागर और जयप्रकाश निषाद जैसे नेता शामिल हैं. पार्टी जल्द पूरी लिस्ट जारी कर सकती है. वहीं सपा ने कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल और सपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य जावेद अली और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) प्रमुख जयंत चौधरी को अपना राज्यसभा उम्मीदवार घोषित किया था. 


बिहार में क्या बन रहे समीकरण
बिहार से राज्यसभा की पांच सीटों के लिए चुनाव होने जा रहे हैं. पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान करना भी शुरू कर दिया है. लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी ने मीसा भारती और डॉ फैयाज अहमद को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. बिहार में सीटों की संख्या में कमी होने के चलते नीतीश कुमार की जेडीयू के इस बार सिर्फ एक सीट के साथ समझौता करने की संभावना है, जिसका सीधा फायदा आरजेडी को होगा. जेडीयू से टिकट के मुख्य दावेदार केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह हैं, जिनका कार्यकाल खत्म होने वाला है. वहीं भाजपा अपने संभावित उम्मीदवारों के नाम तय करके दिल्ली में आलाकमान को भेजेगी जहां से अंतिम नामों को चुना जाना है. कुल मिलाकर बिहार में आरजेडी और बीजेपी को दो-दो सीटें और जेडीयू को एक सीट मिलने के आसार हैं. 


महाराष्ट्र में किसे कितना फायदा
महाराष्ट्र में राज्यसभा की 6 सीटों के लिए 10 जून को वोट डाले जाएंगे. क्योंकि राज्य में कुल विधानसभा सीटें 288 हैं, ऐसे में फॉर्मूले के हिसाब से (288/6+1+1) = 42. यानी एक राज्यसभा सीट के लिए 42 वरीयता वाले वोट जरूरी हैं. भाजपा के पास दो सीटों पर जीत के लिए पर्याप्त संख्या बल है. वहीं सत्तारूढ़ शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस अगल-अलग अपने एक-एक प्रत्याशी को जीत दिला सकते हैं, लेकिन तीनों के गठबंधन के चलते एक और उम्मीदवार को वो राज्यसभा भेज सकते हैं. इस संख्या बल के चलते शिवसेना ने दो सीटों के लिए अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है, जिसे एनसीपी की तरफ से भी हरी झंडी है. 


राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को मिल सकती हैं इतनी सीटें 
आंकड़ों के मुताबिक कांग्रेस जून में होने वाले राज्यसभा चुनाव में 11 सीट हासिल कर सकती है. अगर ऐसा होता है तो उच्च सदन में पार्टी के सदस्यों की संख्या 33 हो जाएगी जो फिलहाल 29 है. बताया जा रहा है कि गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला, अजय माकन और राजीव शुक्ला समेत कई वरिष्ठ नेता राज्यससभा के लिए उम्मीद लगाए हुए हैं. चिदंबरम (महाराष्ट्र), रमेश (कर्नाटक), अंबिका सोनी (पंजाब), विवेक तन्खा (मध्य प्रदेश), प्रदीप टम्टा (उत्तराखंड), कपिल सिब्बल (उत्तर प्रदेश) और छाया वर्मा (छत्तीसगढ़) का राज्यसभा का कार्यकाल पूरा हो रहा है. 


मौजूदा गणित के हिसाब से कांग्रेस को राजस्थान से तीन, छत्तीसगढ़ से दो, महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा और मध्य प्रदेश से राज्यसभा की एक-एक सीट मिल सकती है. अगर तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक और झारखंड में झामुमो एक-एक सीट देती है तो फिर कांग्रेस को दो और सीट मिल सकती हैं.


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