Rajya Sabha Election 2022: देश के 4 राज्यों की 16 राज्यसभा सीटों के लिए वोट डाले जा रहे हैं. राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक और महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Election ) में काफी दिलचस्प मुकाबला है. इन सभी चारों प्रदेशों में एक-एक वोट को लेकर संघर्ष है. राजस्थान (Rajasthan) में राज्यसभा की 4 सीटों के लिए चुनाव है. तो वहीं हरियाणा (Haryana) में राज्यसभा की 2 सीटों को लिए चुनाव हैं. कर्नाटक (Karnataka) में 4 सीटों के लिए चुनाव हैं तो वहीं महाराष्ट्र (Maharashtra) में राज्यसभा की 6 सीटों के लिए वोटिंग है.


राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक और महाराष्ट्र की 16 राज्यसभा सीटों पर चुनाव के लिए वोट डाले जा रहे हैं. इन सभी राज्यों में सियासी ने रिसॉर्ट पॉलिटिक्स को अपनाया था. सभी दलों ने अपने-अपने विधायकों को होटल या अन्य किसी दूसरे सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने का इंतजाम किया था ताकि खरीद फरोख्त न हो सके.


कहां-कहां फंसा है पेंच?


देश के 4 प्रदेशों में 16 राज्यसभा सीटों के लिए हर एक-एक वोट को लेकर दिलचस्प मुकाबला है. राजस्थान में राज्यसभा की 4 सीटों के लिए वोटिंग है. यहां उद्योगपति सुभाष चंद्रा (Subhash Chandra) के मैदान में उतरने के बाद चुनाव का कुछ अलग रंग है. हरियाणा में 2 सीटों के लिए चुनाव है. यहां भी निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा (Kartikeya Sharma) के मैदान में उतरने के बाद मुकाबला काफी रोचक है. कर्नाटक में 4 सीटों के लिए चुनाव है. यहां सीधा गणित ये है कि बीजेपी के 3 सांसद चुनकर उच्च सदन जाएंगे और एक सीट कांग्रेस के पास चली जाएगी. लेकिन राज्य की तीन प्रमुख पार्टियों ने चुनाव में कुल 6 उम्मीदवारों को उतार दिया है. महाराष्ट्र में भी 6 सीटों के लिए 7 प्रत्याशी मैदान में हैं. बीजेपी के 3, शिवसेना के 2 और कांग्रेस-एनसीपी से एक-एक प्रत्याशी मैदान में हैं.


राजस्थान का सियासी गणित


राजस्थान में राज्यसभा की कुल चार सीटों के लिए 5 उम्मीदवार मैदान में हैं. यहां एक प्रत्याशी को जीत के लिए 41 वोट चाहिए. कांग्रेस के तीन उम्मीदवार हैं, इस लिहाज से 123 वोट की जरूरत पड़ेगी लेकिन उसके पास विधायक 108 ही हैं. यानी 15 वोट कम पड़ रहे हैं. इसके साथ ही इस चुनाव को लेकर बीजेपी ने 1 उम्मीदवार उतारा है. पार्टी के पास 71 वोट है. यानी बीजेपी के पास 30 सरप्लस वोट हैं. यहां सुभाष चंद्रा के आने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है. कांग्रेस के प्रमोद तिवारी की निर्दलीय सुभाष चंद्रा से टक्कर है. प्रमोद तिवारी के खेमे में कांग्रेस के 26 और तीन और विधायक हैं. ऐसे में यहां 13 निर्दलीय विधायक अहम भूमिका निभाएंगे.


हरियाणा का क्या है गणित?


हरियाणा में 2 सीटों के लिए चुनाव है. BJP ने कृष्ण लाल पंवार को उम्मीदवार बनाया है. इनका जीतना तय माना जा रहा है. कांग्रेस की तरफ से अजय माकन मैदान में हैं. वहीं निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उद्योपति कार्तिकेय शर्मा मैदान में दांव आजमा रहे हैं जिसके बाद अजय माकन की मुश्किलें बढ़ गईं हैं. हरियाणा में राज्यसभा चुनाव में जीत के लिए हर उम्मीदवार को 31 वोट चाहिए. बीजेपी के पास 40 है, मतलब यह है कि बीजेपी के एक उम्मीदवार का जीतना तया है. बीजेपी के पास 9 वोट अधिक हैं. कांग्रेस के पास कुल 31 विधायक हैं. इसमें में भी एक कुलदीप बिश्नोई पार्टी से खफा हैं. जबकि जेजेपी के 10 और अन्य 9 विधायक कार्तिकेय शर्मा के साथ हैं. ऐसे में अजय माकन के लिए रास्ता थोड़ा मुश्किल हो सकता है.


कर्नाटक में क्या है सियासी आंकड़ा?


कर्नाटक में राज्यसभा की 4 सीटों के लिए चुनाव हैं लेकिन दिक्कत ये हैं कि तीन प्रमुख पार्टियों ने चुनाव में कुल 6 उम्मीदवार उतारे हैं. यहां विधानसभा में कुल 224 सीटें हैं. बीजेपी के 122 विधायक हैं. कांग्रेस के पास 69 MLA हैं और एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन है वहीं जेडीएस के कुल 32 विधायक हैं. एक सीट के लिए 45 वीटों की जरूरत है. बीजेपी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अभिनेता जागेश को आसानी से राज्यसभा भेज सकती है. पार्टी के पास सरप्लस 32 वोट हैं जो वो अपने तीसरे उम्मीदवार लहर सिंह सिरोया के लिए छोड़ेगी. कई बार बातचीत के बाद भी जेडीएस और कांग्रेस में समझौता नहीं हो पाया. ऐसे में जेडीएस ने कांग्रेस विधायकों से वोट करने वक्त दूसरी वरीयता में एक दूसरे के उम्मीदवारों को समर्थन देने के लिए कहा है.


महाराष्ट्र में क्या होगा?


महाराष्ट्र (Maharashtra) में राज्यसभा (Rajya Sabha) की 6 सीटों के लिए 7 प्रत्याशी चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं. प्रदेश में कुल विधायकों की संख्या 288 है. यानी एक सीट जीतने के लिए 42 वोटों की जरूरत है. बीजेपी के पास 106 विधायक हैं. इसके हिसाब से बीजेपी की दो सीट पर जीत तो तय है लेकिन उसके तीसरे उम्मीदवार को जीतने के लिए 20 वोटों की और जरूरत है. शिवसेना (Shivsena) के संजय पवार और बीजेपी के धनंजय महादिक के बीच कड़ा मुकाबला होगा. NCP के समर्थन में 53 विधायक हैं और उम्मीदवार भी एक ही हैं. यानी इसके पास भी 11 सरप्लस वोट हैं. शिवसेना को अपने दूसरे उम्मीदवार को जिताने के लिए 15 और वोट की जरूरत पड़ेगी. कांग्रेस के 44 MLA हैं और उम्मीदवार एक, यानी इसके पास दो वोट सरप्लस हैं. ऐसे में यहां सभी पार्टियों की निगाहें अब 29 उन विधायकों पर टिकी हैं जो छोटे दलों से या फिर निर्दलीय चुनाव जीतकर आए हैं.


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