Jagdeep Dhankhar In Rajya Sabha: दिल्ली सर्विस बिल राज्यसभा में सोमवार (07अगस्त) को देर रात पास हो गया. इस बीच राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को दिल्ली सेवा विधेयक पर तीखी बहस के दौरान टीएमसी सदस्य डेरेक ओ ब्रायन पर पब्लिसिटी पाने के लिए सदन में हंगामा करने का आरोप लगाया.


राज्यसभा के सभापति धनखड़ को गुस्सा तब आया जब तृणमूल कांग्रेस के सदस्य ने अपने भाषण को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार संशोधन विधेयक, 2023 तक सीमित रखने से इनकार कर दिया और केंद्र सरकार के खिलाफ आरोपों की झड़ी लगा दी.


आपने इस सदन को बर्बाद कर दिया- धनखड़
सभापति ने ओ ब्रायन से कहा, यह आपकी आदत बन गई है. आप एक रणनीति के तहत ऐसा कर रहे हैं. आपको लगता है कि आप बाहर प्रचार का आनंद लेंगे. आपने इस सदन को बर्बाद कर दिया. बैठ जाइए. धनखड़ ने ब्रायन से कहा कि आप यहां क्या हंगामे के लिए आए हैं. क्या यह आपकी शपथ है. ऐसी चालाकी कभी सफल नहीं होती. यहां एक सदस्य है जो व्यक्तिगत प्रचार के लिए यहां आया है. 


डेरेक ओ ब्रायन ने क्या लगाए आरोप 
बहस में भाग लेते हुए ओ ब्रायन ने कहा कि मैं इस विधेयक का पुरजोर विरोध करने के लिए यहां खड़ा हूं. नरेंद्र मोदी फेडरलिज्म की संतान हैं. वह दिल्ली आने से पहले मुख्यमंत्री थे. उन्होंने पूछा कि लोकतंत्र का बच्चा लोकतंत्र को नष्ट क्यों करेगा. फेडरलिज्म का बच्चा संसद में क्यों आएगा और यह सुनिश्चित करेगा कि यहां पारित लगभग एक तिहाई विधेयक संघीय विरोधी हैं.


उन्होंने कहा कि फेडरलिज्म का बच्चा उच्च शिक्षा के लिए विशेष बजट के रूप में 40,000 करोड़ रुपये क्यों मंजूर करेगा और राज्य विश्वविद्यालयों को केवल 700 करोड़ रुपये क्यों देगा. हम इस बिल का विरोध करेंगे, चाहे आप हमें 12,000 करोड़ रुपये दे दें जो आपका बकाया है. लेन देन संबंधी फेडरलिज्म काम नहीं करेगा. हम अपने ₹12,000 करोड़ के लिए दबाव बनाने के लिए 12 अक्टूबर को एक बड़ी रैली करेंगे.



डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि आप 30 महीनों में 160 प्रतिनिधिमंडल भेज रहे हैं. आप बीजेपी राज्यों में क्या करते हैं? आपने कितने प्रतिनिधिमंडल उत्तर प्रदेश और असम में भेजे हैं, जहां देश में सबसे ज्यादा हत्याएं और अपराध होते हैं, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध वाले मध्य प्रदेश में. यह एक राजनीतिक सदन है, हम राजनीतिक मुद्दे उठाएंगे.


उन्होंने सत्ता पक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि उन्हें खुली छूट नहीं दी जा सकती. इसके बाद अध्यक्ष ने उन्हें बैठने के लिए कहा और कहा कि इस तरह का व्यवहार किसी के लिए अच्छा नहीं होगा, इस पर जब संसद ने मना कर दिया तो सभापति ने कहा मैं इस हंगामे की इजाजत नहीं दूंगा. 


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