संभल दंगा मामले के तीन आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है. कोर्ट ने तीनों आरोपियों फैजान, दानिश और नाजिर को इस आधार पर जमानत दी है कि यूपी पुलिस जांच पूरी कर चुकी है. मामले में आरोप पत्र भी दायर किया जा चुका है. पिछले साल नवंबर में संभल की शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा हुई थी.

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पिछले साल नवंबर में संभल शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई थी. स्थानीय अदालत ने एक याचिका पर सर्वे का आदेश दिया था. याचिका में दावा किया गया है कि मुगलकाल में एक मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी. याचिका में मस्जिद को हरिहर मंदिर बताया गया है. 19 नवंबर को याचिका दाखिल की गई और कुछ घंटे बाद ही कोर्ट ने सर्वे के लिए अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त करने का आदेश दिया और उसी दिन मंदिर का पहला सर्वे भी हो गया.

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कोर्ट ने आदेश दिया कि सर्वे की रिपोर्ट 29 नवंबर से पहले दायर की जाए. दूसरे चरण के सर्वे के लिए जब 24 नवंबर को एएसआई की टीम वहां पहुंची तो हिंसा भड़क गई. उपद्रवियों ने पथराव, आगजनी और तोड़फोड़ की. इस हिंसा में चार लोगों की जान चली गई और 29 पुलिसकर्मी घायल हुए थे. पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया था, जिसमें दानिश, नाजिर और फैजान भी शामिल थे.

जांच में सामने आया था कि ये हिंसा अचानक नहीं हुई, बल्कि पूर्व नियोजित साजिश थी. हिंसा का मास्टरमाइंड शारिक साठा को बताया गया, जिसने अपने स्थानीय नेटवर्क और गैंग के जरिए भीड़ को भड़काने की रणनीति बनाई थी.

शारिक साठा के खिलाफ जल्द ही रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया जाएगा. संभल के पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार बिश्नोई ने कहा कि पिछले साल यहां हुई हिंसा में शारिक साठा नाम का मुख्य साजिशकर्ता के रूप में उभर कर आया, जिसकी पुलिस तलाश कर रही है. उसके खिलाफ जल्द ही रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया जाएगा. पुलिस अधिकारी बिश्नोई ने बताया कि मुख्य आरोपी शारिक साठा ने अपने साथियों के साथ मिलकर पिछले साल संभल में हुई हिंसा की योजना बनाई थी.

(निपुण सहगल के इनपुट के साथ)