Rajkumari Amrit Kaur: देश में आजादी के बाद पहली बार कैबिनेट गठित हुई तो पीएम नेहरू के मंत्रिमंडल के सदस्यों में एक नाम राजकुमारी अमृत कौर का भी था. राजकुमारी अमृत कौर देश की पहली महिला कैबिनेट मंत्री बनीं लेकिन पहले उनका नाम लिस्ट में नहीं था. महात्मा गांधी के कहने पर उन्हें कैबिनेट में रखा गया और फिर उन्होंने जो किया वह इतिहास में दर्ज हो गया. आज (2 फरवरी) राजकुमारी अमृत कौर की जयंती है.


देश की स्वास्थ्य मंत्री के रूप में राजकुमारी अमृत कौर की सबसे बड़ी उपलब्धि एम्स (AIIMS) की स्थापना रही. देश के प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में एम्स को खड़ा करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही.  वे सिर्फ भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री ही नहीं रही बल्कि वर्ल्ड हेल्थ एसेंबली की प्रमुख बनने वाली पहली एशियाई महिला भी थीं.


राजघराने की बेटी


राजकुमारी अमृत कौर कपूरथला राजघराने की बेटी थीं. हालांकि, उनके पिता हरनाम सिंह उनके जन्म से पहले ही ईसाई धर्म स्वीकार कर चुके थे. हरनाम सिंह की मुलाकात गोलकनाथ चटर्जी से हुई, जो एक मिशनरी थे. उनके प्रभाव में आकर हरनाम सिंह ने ईसाई धर्म अपना लिया. बाद में इन्हीं गोलकनाथ की बेटी प्रिसिला से हरनाम सिंह ने विवाह किया. हरनाम और प्रिसिला के 10 बच्चे हुए. सबसे छोटी बेटी थी, जिसका जन्म 2 फरवरी 1889 को हुआ था. इसका नाम रखा गया अमृत कौर. 


ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई


राजकुमारी अमृत कौर पढ़ाई के लिए लंदन चली गईं और वहां ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. इस दौरान एक घटना ने उनके जीवन की दिशा बदल दी. एक बार वह लंदन में एक पार्टी में थीं. इस दौरान एक अंग्रेज ने उन्हें अपने साथ डांस करने के लिए कहा. उनके इनकार करने पर वह भारतीयों की बेइज्जती करने लगा. यहीं से उन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में रुचि लेनी शुरू की. 


दांडी मार्च के लिए जेल


1909 में वह भारत लौटीं तो वह गोपाल कृष्ण गोखले के काम से प्रभावित होकर राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुईं. गोखले के माध्यम से अमृत कौर ने गांधी और उनके कार्यों के बारे में जाना. आगे चलकर वह गांधी की अनन्य अनुयायी बनीं. दांडी मार्च के लिए वह जेल भी गईं. माता-पिता की मौत के बाद 1930 में उन्होंने महल छोड़ दिया और पूरी तरह से स्वतंत्रता आंदोलन में समर्पित हो गईं.


एम्स की स्थापना


18 फरवरी, 1956 को तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर ने लोकसभा में एक नया विधेयक पेश किया. उस समय उनके पास कोई पहले से तैयार भाषण नहीं था. इस दौरान वह जो भी बोली थीं, दिल से बोलीं. उन्होंने सिर्फ बिल ही नहीं पेश किया बल्कि इसकी स्थापना के लिए फंड भी जुटाना शुरू किया. इसके लिए उन्होंने अपनी अंतरराष्ट्रीय ख्याति का इस्तेमाल किया और अमेरिका, स्वीडन, पश्चिमी जर्मनी, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से मदद हासिल की. उन्होंने अपना शिमला का महलनुमा घर भी एम्स को दे दिया.


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