JDU On Rajya Sabha Deputy Chairman: जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह 'ललन' ने गुरुवार (24 अगस्त) को राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश पर पार्टी की मीटिंग में शामिल न होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि जब से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) का साथ छोड़ा है तब से वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों पर पार्टी की बैठकों में भाग नहीं ले रहे हैं.
ललन ने यह आरोप जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के गठन के बाद लगाया. दरअसल, जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी के गठन से एक दिन पहले पार्टी ने एक बैठक की थी, जिसमें हरिवंश को छोड़कर पार्टी के 100 सदस्य शामिल हुए थे. इनमें लोकसभा और राज्यसभा सांसद भी शामिल थे.
ललन ने कहा कि हरिवंश को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद कहना चाहिए, क्योंकि उन्होंने उन्हें पद दिलाने के लिए अन्य क्षेत्रीय दलों से पैरवी की. जेडीयू प्रमुख ने बताया कि वह 9 अगस्त, 2022 से पहले पार्टी की हर बैठक में शामिल होते थे. जेडीयू नेता ने कहा, "हो सकता है वह अब प्रधान मंत्री के निर्देशों पर काम कर रहे हों, जिन्होंने उन्हें पार्टी की बैठकों से दूर रहने के लिए कहा होगा. वह फिलहाल जेडीयू से अलग नहीं हो सकते."
संसदीय दल की बैठक में नहीं आ रहे हरिवंश
ललन ने कहा, "पिछले साल 9 अगस्त को हमारे एनडीए छोड़ने के बाद से हरिवंश ने पार्टी की किसी भी बैठक में भाग नहीं लेने का फैसला कर लिया है. इतना ही नहीं, उन्होंने संसदीय दल की बैठक में भी आना बंद कर दिया है, जो हम सदन के सत्र के दौरान हर बुधवार को आयोजित करते हैं.
'बीजेपी ने नहीं बनाया राज्यसभा का उपसभापति'
पार्टी प्रमुख ने यहां संवाददाताओं से कहा, "यह संभव है कि हरिवंश को किसी और ने नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री ने ही जेडीयू की मीटिंग में शामिल न होने के लिए कहा हो. हालांकि, उन्हें यह याद रखना चाहिए कि उन्हें राज्यसभा का उपसभापति बनाने वाली बीजेपी नहीं थी. बीजेपी के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं था." नए संसद भवन के उद्घाटन में पहुंचे हरिवंश
बता दें कि कभी नीतिश कुमार के विश्वासपात्र रहे हरिवंश विपक्ष के बहिष्कार के बावजूद नए संसद भवन के उद्घाटन में भाग लेने के कारण पार्टी की आलोचना झेल रहे हैं. के सी त्यागी को लेकर ललन ने जोर देकर कहा कि अनुभवी नेता सभी पार्टी बैठकों में भाग लेने का ध्यान रखते हैं. गौरतलब है कि त्यागी को इस साल मार्च में पदाधिकारियों की लिस्ट से हटा दिया गया था. हालांकि, बाद में उन्हें विशेष सलाहकार और मुख्य प्रवक्ता के रूप में नामित किया गया और राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी शामिल किया गया था.
'ध्रुवीकरण बीजेपी की रणनीति'
जब उनसे बीजेपी नेताओं के उन आरोपों पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि बिहार में कानून और व्यवस्था पाकिस्तान के बराबर हो गई है तो उन्होंने नाराजगी जताई और कहा यह सब वोटरों के सांप्रदायिक रूप से ध्रुवीकरण करने की भाजपा की रणनीति का हिस्सा है.
लोकसभा चुनाव में होगी कर्नाटक जैसा हाल- JDU
उन्होंने कहा, "कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार में कोई और नहीं बल्कि प्रधानमंत्री बजरंग बली के नाम पर वोट मांग रहे थे. ऐसा लगता है कि भगवान हनुमान इन हरकतों से नाखुश हो गए और बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी का यही हश्र होगा"
'टूटने की कगार पर जेडीयू '
इस बीच बिहार भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने बयान जारी कर ललन पर प्रधानमंत्री का नाम अनावश्यक रूप से घसीटने और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और उसके नेताओं लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव का प्रवक्ता बनने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, " जदयू टूटने के कगार पर है, लेकिन ललन सिंह जैसे लोगों को कोई चिंता नहीं है." भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि वह हरिवंश जैसे बड़े बुद्धिजीवी को इस तरह से अपमानित कर रहे हैं, जो हमें नीतीश कुमार द्वारा जॉर्ज फर्नांडिस, शरद यादव और आरसीपी सिंह जैसे दिग्गजों के साथ किए गए घटिया व्यवहार की याद दिलाता है.
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