27 अगस्त को राजस्थान के कोटा में 4 घंटे में 2 छात्रों ने आत्महत्या कर ली. इस साल अभी तक यहां 23 छात्र पढ़ाई के प्रेशर में सुसाइड जैसा कदम उठा चुके हैं. हाल की घटना के बाद छात्रों पर पढाई के प्रेशर के कारण बढ़ रहे तनाव का मुद्दा  फिर उठा है. कोचिंग सेंटर इंजीनिरिंग और मेडिकल कॉलजों में बच्चों के सेलेक्शन के लिए जो पैटर्न फॉलो कर रहे हैं, इन घटनाओं के बाद उन पर भी सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं. 27 अगस्त को जो सुसाइड की घटनाएं हुईं उनको लेकर बताया गया कि छात्रों ने टेस्ट सीरीज में कम नंबर आने के कारण यह कदम उठाया. इस बीच राजस्थान के शिक्षा मंत्री राजेंद्र सिंह यादव ने बताया कि इन घटनाओं के बाद राज्य सरकार की क्या प्लानिंग है.


द इंडियन एक्सप्रेस के साथ इंटरव्यू में राजेंद्र सिंह ने कहा कि बच्चों पर मानसिक दबाव है. जब वह अच्छे अंक नहीं ला पाते तो वह खुद को इस बात का दोषी मानते हैं कि घरवालों के इतना पैसा लगाने के बावजूद वे अच्छा रिजल्ट नहीं ला पा रहे. 


मंत्री ने कहा, टॉपर्स की फोटो लगाकर कोचिंग सेंटर्स मार्केटिंग कर रहे
राजेंद्र सिंह ने कहा कि कुछ संस्थान पूरी तरह से कमर्शियल हो गए हैं और अपने हॉर्डिंग्स और बोर्ड पर सिर्फ टॉपर्स की फोटो लगाकर अपने कोचिंग सेंटरों की मार्केंटिंग कर रहे हैं, लेकिन ये नहीं बताते कि वहां कितने बचते पढ़ते हैं. राजेंद्र सिंह ने कहा कि अगर किसी इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाले 20 हजार छात्रों में से 30 टॉपर हैं तो यह सामान्य बात है. होशियार बच्चे क्लास में अच्छे नंबर लाते हैं, लेकिन ये इंस्टीट्यूट ये नहीं बताते कि कितने बच्चे वहां पढ़ते हैं और उनमें से कितने टॉपर हैं, यह सब फ्रॉड है.


किस कानून पर काम कर रही सरकार
कोटा में चलाए जा रहे कोचिंग सेंटर्स पूरी तरह से कमर्शियल होते जा रहे हैं, इसके लिए राज्य सरकार क्या कर रही है. इसके जवाब में राजेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार एक ऐसे एक्ट पर काम कर रही है, जो कोचिंग सेंटरों पर लगाम कसेगा और इसका भी ध्यान रखेगा कि ये सेंटर्स बच्चों से कितनी फीस वसलू रहे हैं. राजेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार पूरे हायर एजुकेशन सिस्टम और सभी स्टेकहॉल्डर्स को एकसाथ लाने की कोशिश कर रही है. सभी स्टेकहॉल्डर्स से जो फीडबैक मिला है, उसके मुताबिक, प्राइवेट कॉलेज और इंस्टीट्यूट को ऐसा लगता है कि हम उन्हें कंट्रोल करना या डराना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर इंस्टीट्यूट्स की तरफ से गलतियां हो रही हैं, जैसे सुरक्षा जाल न लगाना, पार्किंग स्थलों की कमी.


राजेंद्र सिंह ने कहा, डॉक्टर-इंजीनियर बनने का दबाव
राजेंद्र सिंह ने सवाल करते हुए कहा कि हमारे समय में कौन से कोचिंग सेंटर होते थे तो क्या उस समय लोग आईएएस, डॉक्टर और इंजीनियर नहीं बनते थे. उन्होंने कहा कि आज के दौर में माता-पिता बच्चों की स्पोर्टिंग एक्टिविटी और उनकी किसमें रुचि है इस पर ध्यान नहीं देते. कुछ बच्चे किसी खेल या अन्य किसी और क्षेत्र में जाना चाहते हैं, लेकिन माता-पिता उन पर डॉक्टर और इंजीनियर बनने के लिए दबाव बनाते हैं और आईआईटी जैसे संस्थानों में एडिमिशन के लिए कहते हैं, यह भी एक बड़ी वजह है. 


8 साल में 111 सुसाइड
साल 2015 से अब तक 111 छात्र कोटा में सुसाइड कर चुके हैं. इनमें सबसे ज्यादा मामला इसी साल सामने आए हैं. हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2015 में 18, 2016 में 17, 2017 में 7, 2018 में 20, 2019 में 18, 2022 में 15 और 2023 में 23 आत्महत्या के मामले सामने आए हैं.


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