पटना:  पड़ोसी देश नेपाल और बिहार में लगातार हुई भारी बारिश के कारण अचानक आई बाढ से बिहार में अब तक 56 लोगों की मौत हो गई है. बाढ़ से 38 में से 13 जिलों की 69.41 लाख आबादी प्रभावित हुई है. सीएम नीतीश कुमार ने मंगलवार को बाढग्रस्त दरभंगा प्रमण्डल के विभिन्न इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए. पूर्णिया जिले में हालात बेहद भयानक हैं. यहां पर कई गांव से बाढ़ का पानी निकल चुका है, लेकिन लोगों की मुसीबत बढ़ गई है. वहीं अभी भी कई इलाके जलमग्न हैं.


13 जिलों में अबतक 56 की मौत


बाढ़ प्रभावित प्रदेश के 13 जिलों किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सीतामढी, शिवहर, सुपौल और मधेपुरा में से सबसे अधिक 20 लोग अररिया में, पश्चिमी चंपारण में 9, किशनगंज में 8, सीतामढी से 5, मधेपुरा में 4, पूर्वी चंपारण, दरभंगा एवं मधुबनी में 3-3 और शिवहर में एक व्यक्ति की मौत हुई है.



 2 लाख 48 हजार 140 लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाया गया

बाढ के कारण इन 13 जिलों के 98 प्रखंड और 1070 पंचायत प्रभावित हुए हैं और कुल 69.41 लाख आबादी प्रभावित हुई है. राज्य सरकार के द्वारा बाढ़ में घिरे लोगों को सुरक्षित निकाले जाने का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है. अब तक 2 लाख 48 हजार 140 लोगों को बाढ प्रभावित इलाके से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है और 343 राहत शिविरों में 93 हजार 149 लोग शरण लिए हुए हैं.

राहत बचाव के काम में जुटीं एनडीआरएफ की 22 टीमें

बाढ़ प्रभावित इलाकों में युद्ध स्तर पर राहत बचाव के लिए एनडीआरएफ की 22 टीम जिसमें 949 जवान और 100 नौका, एसडीआरएफ की 15 टीम जिसमें 421 जवान और 82 नौका, सेना की चार टुकड़ियों के कुल 300 जवान को 40 नौकाओं के साथ है. सेना की तीन अतिरिक्त टुकड़ियाँ जो कि सोमवार रात पहुंची थी, इन्हें सीतामढ़ी,मधुबनी, पश्चिम चम्पारण एवं पूर्वी चम्पारण जिले में बाढ़ राहत और बचाव कार्य में लगाया गया है.

वायुसेना के दो हेलिकॉप्टरों के माध्यम से पूर्णियाँ हवाई अड्डे से प्रभावित क्षेत्र में खाद्य सामग्री बांटी जा रही है. पश्चिम चम्पारण क्षेत्र के अत्यधिक प्रभावित क्षेत्र में खाद्य सामग्री वितरित करने के लिए एक अतिरिक्त हेलिकॉप्टर का अधिग्रहण किया गया है. यह हेलिकॉप्टर राहत कार्य शुरू करेगा.

त्रासदी का सबसे बुरा असर पूर्णिया में


बिहार में बाढ़ की त्रासदी का सबसे बुरा असर पूर्णिया जिले में है. कुछ इलाकों में बाढ़ का पानी तो उतर चुका है, लेकिन यहां अब कुछ नहीं बचा. मंजर आलम के घर की नींव कमजोर हो चुकी है. घर में अनाज से लेकर सारा सामान बर्बाद हो चुका है. नेशनल हाइवे 31 के पास सटे गांव में अभी भी पानी भरा हुआ है. हालात ये हैं कि घुटनों तक पानी जमा हुआ है.


 


नेशनल हाइवे 32 पर बना दीघी पुल टूटा


कुछ इलाकों में तो कमर से ऊपर तक पानी है. पानी तेज रफ्तार से गलियों में बह रहा है. लोग घरों में फंसे हुए हैं, जिससे लोगों की रोजी रोटी पर संकट खड़ा हो गया है. नदी का पानी रिहायशी इलाकों में तेजी से घुस रहा है. बाढ़ की चपेट में आने से पूर्णिया शहर से क़रीब 30 किलोमीटर दूर नेशनल हाइवे 32 पर बना दीघी पुल टूट चुका है. ये सड़क बेहद अहम है क्योंकि ये पूर्वोत्तर के राज्यों को देश से जोड़ती है, लेकिन दो दिनों से इस पर ट्रैफिक बंद है, जिससे लोगों को ख़ासी तकलीफ़ों का सामना करना पड़ रहा है.



एनएच 31 पर रात गुज़ारने को मजबूर हैं लोग


बाढ़ में अपना सबकुछ गंवा चुके प्रभावित लोग का सहारा अब सड़क है. लोग एनएच 31 पर रात गुज़ारने को मजबूर हैं. सड़क के बीचोंबीच टेंट लगाकर ख़ुद की और अपने जानवरों की जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं.


किशनगंज और अररिया के बीच बनी सड़क बही


बिहार के किशनगंज में भी बाढ़ ने कहर बरपाया है. बर्बादी की बाढ़ ने कई सड़कों और नेशनल हाइवे को नुकसान पहुंचाया है. यहां किशनगंज और अररिया को जोड़ने वाली सड़क बह गई है. सड़क का करीब 100 मीटर हिस्सा बाढ़ में बह गया है.



प्रशासन का अता-पता नहीं


संपर्क मार्ग टूटने ने दोनों तरफ लोग फंसे हुए हैं. किशनगंज से अररिया आने-जाने वालों के लिए अब बस नाव ही सहारा है. लोग अपनी मोटरसाइकिल को नाव पर लादकर नदी पार कर रहे हैं. यहां प्रशासन का कोई भी शख्स नहीं दिखा. प्रशासन की गैर मौजूदगी से लोग परेशान हैं. इलाके के हालात बेहद खराब हैं. स्थानीय लोग सरकार से जल्द से जल्द सड़क को बनवाने की मांग कर रहे हैं.


अररिया में 20 से ज्यादा लोगों की मौत


बिहार की राजधानी पटना से 321 किलोमीटर दूर अररिया में बाढ़ की वजह से सबसे ज्यादा 20 लोगों की मौत हुई है. यहां लोग चार दिन से सरकारी मदद का इंतजार कर रहे हैं. पानी ने हर चीज को अपने आगोश में ले लिया है. लोग कमर तक पानी में रहने को मजबूर हैं और जहां पानी का स्तर और बढ़ गया है वहां से लोग निकलकर सुरक्षित जगहों पर जा रहे हैं.


बाढ़ के बावजूद मनाया स्वतंत्रता दिवस


बाढ़ के बावजूद एक बस्ती में कुछ लोग स्वतंत्रता दिवस मना रहे थे. कमर तक पानी था, लेकिन देशभक्ति का जुनून जरा भी कम नहीं हुआ. इस बस्ती में हर साल 15 अगस्त को तिरंगा फहराया जाता हैस लेकिन बाढ़ के पानी में इस साल ये मुमकिन ना हो पाया. इलाके में बच्चे भूखे हैं. लोगों के पास कपड़े नहीं हैं. फिर भी इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.