Railway Workers Job Crisis: भारतीय रेलवे लोडिंग-अनलोडिंग वर्कर्स यूनियन के हजारों मजदूरों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है. रेलवे बोर्ड के 21 जनवरी 2025 को जारी आदेश (फाइल नंबर 2025/TC(FM)/10/04) के खिलाफ मजदूरों ने मोर्चा खोल दिया है. यूनियन का कहना है कि इस आदेश से हजारों मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे, क्योंकि रेलवे अधिकारी पार्सल ऑफिस का ठेका किसी बड़ी कंपनी को देने की योजना बना रहे हैं. इस फैसले के विरोध में मजदूर 14 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पार्सल ऑफिस से रेलवे बोर्ड तक कैंडल मार्च निकालेंगे, जिसका नेतृत्व यूनियन के अध्यक्ष राजकुमार इंदोरिया करेंगे.

रेलवे स्टेशनों पर पार्सल की लोडिंग और अनलोडिंग करने वाले ये मजदूर पिछले 40-50 सालों से रेलवे के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें रेलवे से कोई वेतन या सुविधा नहीं मिलती बल्कि उनकी रोजी-रोटी प्राइवेट कंपनियों से मिलने वाली मजदूरी पर निर्भर है. यूनियन का कहना है कि यदि रेलवे बोर्ड का नया आदेश लागू हुआ तो हजारों मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा.

फिर दोहराया पुराना फैसला

यूनियन के मुताबिक रेलवे पहले भी इस तरह के फैसले ले चुका है, जिससे मजदूरों को हड़ताल करनी पड़ी थी. हालांकि तब मजदूरों के संघर्ष की वजह से वे अपनी नौकरी बचाने में कामयाब रहे थे. अब एक बार फिर रेलवे बोर्ड ने मजदूरों को हाशिए पर लाने की तैयारी कर ली है ,जिससे उनके भविष्य पर अनिश्चितता के बादल छा गए हैं.

रेलवे बोर्ड के फैसले के खिलाफ बड़ा आंदोलन

यूनियन का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘आत्मनिर्भर भारत’ की बात कर रहे हैं, लेकिन रेलवे बोर्ड का ये फैसला इसके विपरीत है. मजदूरों का आरोप है कि रेलवे अधिकारी बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए मेहनतकश मजदूरों को बेरोजगार करने पर तुले हैं. यूनियन के अध्यक्ष राजकुमार इंदोरिया ने स्पष्ट किया कि यदि रेलवे बोर्ड अपना फैसला वापस नहीं लेता तो मजदूर संघर्ष को और तेज करेंगे. 14 फरवरी को कैंडल मार्च के जरिए विरोध दर्ज कराया जाएगा और यदि मांगें पूरी नहीं हुईं तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा.

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