नई दिल्लीः श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का रूट बदले जाने और लेटलतीफी को लेकर आलोचना झेल रहे रेल मंत्रालय ने कहा है कि ट्रेनों का रूट योजना के तहत बदला गया था न कि ट्रेनें रास्ता भटक गई थीं. रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद यादव ने कहा कि रेल मार्ग काफ़ी व्यस्त होने के चलते कुछ श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का रूट बदला गया था. उन्होंने बताया कि 20 मई से 24 मई के बीच 71 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का रूट बदला गया था जबकि अभी तक कुल 3840 स्पेशल ट्रेनें चलाई जा चुकी हैं. यादव ने कहा कि इनमें से ज़्यादातर ट्रेनें उत्तर प्रदेश और बिहार जा रही थीं. जिसके चलते रेल मार्ग काफ़ी व्यस्त हो गया और इन ट्रेनों का रूट बदलकर उनके गन्तव्य स्टेशन तक पहुंचाया गया.

9 नहीं , 2 दिनों में सूरत से सिवान पहुंची ट्रेन

विनोद यादव ने कुछ दिनों पहले बनी मीडिया की उस ख़बर को फेक क़रार दिया जिसमें कहा गया था कि सूरत से चली एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन 9 दिनों में सिवान पहुंची थी. यादव ने दावा किया कि ये ट्रेन सिर्फ़ 2 दिनों में ही सूरत से सिवान पहुंच गई थी. उन्होंने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की लेटलतीफी के आरोप को खारिज़ करते हुए कहा कि अबतक चली कुल 3840 स्पेशल ट्रेनों में से महज 4 ट्रेनें ऐसी हैं जिन्होंने अपने गंतव्य स्टेशन तक पहुंचने में 72 घंटे से ज़्यादा समय लिया है. उनके मुताबिक़ जिन 4 ट्रेनों ने 72 घंटे से ज़्यादा समय लिया उसकी वजह दोनों स्टेशनों के बीच की दूरी और असम में रेल मार्ग पर भूस्खलन रहा क्योंकि ये सभी ट्रेनें पूर्वोत्तर राज्यों में जा रही थीं.

'सभी प्रवासियों को घर पहुंचाएगी रेलवे'

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने आंकड़ों में बताया कि 28 मई तक 3840 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से 52 लाख प्रवासियों को उनके घर तक पहुंचाया जा चुका है. वहीं पिछले एक हफ़्ते में 1520 ट्रेनों में 20 लाख प्रवासी इन ट्रेनों से अपने घर पहुंच चुके हैं. विनोद यादव ने कहा कि पिछले दो दिनों में राज्य सरकारों की ओर से इन ट्रेनों की मांग में कमी आई है और फ़िलहाल राज्य सरकारों की ओर से की गई 450 ट्रेनों की मांग की रेलवे के पास लंबित है. हालांकि उन्होंने साफ़ किया कि जबतक राज्य सरकारें इन ट्रेनों की मांग करती रहेंगी तबतक ये ट्रेनें चलती रहेंगी.

80 फ़ीसदी ट्रेनें बिहार और यूपी गई

विनोद यादव ने जो आंकड़ा दिया उसके मुताबिक़ अबतक चलीं 3840 ट्रेनों में से क़रीब 80 फ़ीसदी ट्रेनें बिहार और उत्तर प्रदेश भेजी गई हैं. उत्तर प्रदेश को 42.5 फ़ीसदी जबकि बिहार को 36.8 फ़ीसदी ट्रेनें भेजी गई हैं. वहीं पश्चिम बंगाल को 2.3 फ़ीसदी ट्रेनें भेजी गई.

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