नई दिल्ली: 1984 सिख दंगा मामले में सज्जन कुमार को दिल्ली हाईकोर्ट से उम्रकैद की सजा मिलने के बाद से कांग्रेस बैकफुट पर है. आज ही जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से इसपर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. संसद भवन के बाहर किसान कर्जमाफी पर पत्रकारों से बातचीत करने आए राहुल गांधी से जब पत्रकारों ने सिख दंगा मामले पर प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि वह पहले ही इसपर अपना रुख स्पष्ट कर चुके हैं.


उन्होंने कहा, ''मैंने पहले ही दंगों पर साफ-साफ अपनी बात रखी है, अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. यह प्रेस कांफ्रेंस किसानों के मुद्दे पर है और पीएम मोदी ने अब तक एक रुपया का कर्जमाफ नहीं किया है.''


राहुल ने पहले क्या कहा था?
इसी साल अगस्त में लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में छात्रों को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 1984 सिख दंगों का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था, ‘‘मेरे मन में उसके बारे में कोई भ्रम नहीं है. यह एक त्रासदी थी, यह एक दुखद अनुभव था. आप कहते हैं कि उसमें कांग्रेस पार्टी शामिल थी, मैं इससे सहमति नहीं रखता. निश्चित तौर पर हिंसा हुई थी, निश्चित तौर पर वह त्रासदी थी.’’


राहुल गांधी बोले- 1984 के सिख विरोधी दंगों में शामिल नहीं थी कांग्रेस, लेकिन त्रासदी बेहद दुखद


उन्होंने कहा, ‘‘जब मनमोहन सिंह ने कहा तो वह हम सभी के लिए बोले. जैसा मैंने पहले कहा था कि मैं हिंसा का पीड़ित हूं और मैं समझता हूं कि यह कैसा लगता है.’’ राहुल पिता राजीव गांधी और दादी इंदिरा गांधी का जिक्र कर रहे थे.


आपको बता दें कि कल दिल्ली हाईकोर्ट ने सिख दंगों के 34 साल बाद कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद सज्जन कुमार को इस मामले में दोषी ठहराया था और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी. सजा पाने के बाद आज सज्जन कुमार ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.


1984 दंगा: उम्रकैद की सजा मिलने के बाद सज्जन कुमार का कांग्रेस से इस्तीफा


सज्जन कुमार को जिस मामले में दोषी ठहराया गया है वह दक्षिण पश्चिम दिल्ली के पालम कॉलोनी में राजनगर पार्ट-एक इलाके में पांच सिखों की एक-दो नवम्बर 1984 को हुई हत्या से जुड़ा हुआ है. इस दौरान राष्ट्रीय राजधानी और देश के अन्य हिस्सों में दंगे फैले हुए थे.



तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों द्वारा 31 अक्टूबर को हत्या किए जाने के बाद एक नवम्बर और चार नवम्बर 1984 के बीच भड़के सिख विरोधी दंगों में 2733 सिख मारे गए थे. अदालत ने कुमार और पांच अन्य दोषियों को 31 दिसम्बर 2018 तक सरेंडर करने और दिल्ली से बाहर नहीं जाने के निर्देश दिए.


1984 सिख दंगा: हाईकोर्ट ने कहा- गुजरात और मुजफ्फरनगर नरसंहार में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया