Srinagar Lal Chowk: 7 सितंबर, 2022 को कन्याकुमारी से राहुल गांधी के नेतृत्व में शुरू हुई कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा अपने समापन की ओर बढ़ रही है. इस यात्रा का समापन 30 जनवरी को होना है. उससे पहले राहुल गांधी ने श्रीनगर के ऐतिहासिक लाल चौक पर तिरंगा फहराया है. जिस तरह से कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा की चर्चा है उसी तरह से राहुल गांधी के लाल चौक पर तिरंगा फहराने की चर्चा हो रही है.


गौरतलब है कि श्रीनगर का लाल चौक एक जमाने में देशविरोधी गतिविधियों के लिए कुख्यात था लेकिन धीरे-धीरे वक्त बदला, हालात बदले और आज स्थिति ये है कि जिस लाल चौक के पास लोगों की जिंदगी खौफ के साए में गुजरती थी, अब वहां तिरंगा पूरी शान के साथ लहराता है. लाल चौक पर तिरंगा फहराने की चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि किसी जमाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यहां तिरंगा फहराया था और जमकर चर्चा बटोरी थी. उस वक्त केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. अब राहुल गांधी ने इस जगह पर तिरंगा फहराया है तो केंद्र में बीजेपी की सरकार है.


पीएम मोदी ने मुरली मनोहर जोशी के साथ फहराया तिरंगा


साल 1992 में भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने 26 जनवरी को श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया था. तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और मुरली मनोहर जोशी ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक एकता यात्रा निकाली थी. उस यात्रा का समापन लाल चौक पर तिरंगा फहराकर होना था. तब नरेंद्र मोदी बीजेपी के महासचिव हुआ करते थे. 26 जनवरी 1992 को मुरली मनोहर जोशी ने नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर लाल चौक पर तिरंगा फहराया था.


कांग्रेस और बीजेपी की राजनीति


कश्मीर और भारतीय राजनीति में लाल चौक की अपनी अहमियत है. लाल चौक को श्रीनगर की शान कहा जाता है. प्रदेश और देश की प्रमुख पार्टियों मसलन कांग्रेस पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस और बीजेपी आदि के राजनीतिक मिशन के लिए लाल चौक खास महत्व रखता रहा है. लाल चौक पर तिरंगा फहराने को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में सियासत भी शुरू हो गई है. कांग्रेस ने टिप्पणी की है कि लाल चौक पर तिरंगा फहराना आरएसएस का एजेंडा है.


कांग्रेस के इस बयान पर बीजेपी ने सख्त एतराज जताया है. बीजेपी का कहना है लाल चौक पर सियासत करना ठीक नहीं. जिस लाल चौक पर देश के पहले प्रधानमंत्री झंडा फहरा चुके हैं, वहां राहुल को झंडा फहराने से परहेज क्यों?


क्या राहुल गांधी को मिलेगा फायदा?


पीछे का इतिहास बताता है कि जिसने भी लाल चौक पर तिरंगा फहराया है, उसको सत्ता हासिल हुई है. हालांकि, साल 1948 में जब पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने तिरंगा फहराया था तब वो प्रधानमंत्री बन चुके थे. तो वहीं, साल 1992 में पीएम मोदी ने मुरली मनोहर जोशी के साथ वहां तिरंगा फहराया उसके बाद बीजेपी भी सत्ता में आई और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने. इसके बाद मौजूदा समय में नरेंद्र मोदी खुद प्रधानमंत्री हैं. साल 1948 के बाद कांग्रेस के किसी बड़े नेता ने लाल चौक पर तिरंगा फहराया है. अब ये आने वाला वक्त ही बताएगा कि राहुल गांधी को कितना फायदा मिलेगा.


ये भी पढ़ें: लाल चौक पर तिरंगा लहराकर बाले राहुल गांधी, 'भारत से किया वादा पूरा हुआ, नफरत हारेगी, मोहब्बत जीतेगी'