Rahul Gandhi Disqualified News: कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है. यहां तक कि लोकसभा की वेबसाइट पर अब उनका नाम नहीं दिखाई दे रहा है. इस पूरे मामले को लेकर शुक्रवार (24 मार्च) को हड़कंप मचा रहा. सत्ता दल बीजेपी के खिलाफ विपक्षी पार्टियां कांग्रेस के साथ दिखीं और एक स्वर में निंदा की. वहीं इसको लेकर कांग्रेस और बीजेपी ने आगे की रणनीति भी तैयार की. इस पूरे मसले को लेकर राहुल गांधी शनिवार (25 मार्च) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे. इसके साथ ही कांग्रेस कोर्ट जाने को लेकर भी फैसला लेगी.


राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिए जाने के बाद शुक्रवार को केरल की वायनाड संसदीय सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया. अयोग्य ठहराए जाने की अधिसूचना के बाद लोकसभा की वेबसाइट पर सत्रहवीं लोकसभा के लिए सांसदों की सूची में वायनाड सीट को खाली दर्शाया गया है. इस सीट से राहुल गांधी निर्वाचित हुए थे. इस सीट के रिक्त होने के बाद निर्वाचन आयोग तकनीकी आधार पर उपचुनाव करा सकती है, क्योंकि साल 2024 के आम चुनाव के लिए अभी एक साल से अधिक समय बचा है. वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल अगले साल जून में खत्म होगा.


कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराये जाने के कई संभावित प्रभाव सामने आ सकते हैं जिसमें उनके आठ साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक के अलावा उन्हें लुटियन दिल्ली में सरकारी बंगला खाली करना पड़ सकता है. चुनाव आयोग के पूर्व अधिकारी ने अपना नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, “ऊपरी अदालत के राहुल की दोषसिद्धि पर रोक न लगाने की सूरत में वह आठ सालों के लिए लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने के लिये अयोग्य हो जाएंगे.”


राहुल गांधी पर क्या कार्रवाई हुई?


सूरत की अदालत ने ‘मोदी सरनेम’ संबंधी टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ 2019 में दर्ज आपराधिक मानहानि के एक मामले में उन्हें दो साल कारावास की सजा सुनाई. अदालत ने, हालांकि गांधी को जमानत दे दी और उनकी सजा के अमल पर 30 दिनों तक के लिए रोक लगा दी, ताकि कांग्रेस नेता फैसले को चुनौती दे सकें. रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951 के तहत 2 साल या उससे अधिक की सजा पर सदस्यता जाने का प्रावधान है. अब अगर राहुल की सजा पर ऊपरी अदालत से जल्द रोक नहीं लगती तो मुमकिन है कि अगले 2 से 3 हफ्तों में वायनाड में उप चुनावों की तारीखों का एलान केंद्रीय चुनाव आयोग करेगा.


राहुल गांधी ने क्या कहा?


लोकसभा सचिवालय ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी. इस फैसले के बाद राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि मैं भारत की आवाज़ के लिए लड़ रहा हूं. मैं हर कीमत चुकाने को तैयार हूं.


विपक्षी दलों ने एक स्वर में निंदा की


राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होने के बाद विपक्ष भी एकजुट दिखा और पूरे विपक्ष ने एकस्वर में निंदा की. इसमें समाजवादी पार्टी (एसपी) के अखिलेश यादव, आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, बीआरएस के अध्यक्ष और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, शिवसेना (बाला साहेब ठाकरे) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, केरल के सीएम पिनरई विजयन और शरद पवार जैसे नेता शामिल रहे.


बीजेपी ने क्या कहा?


इस मसले पर बीजेपी भी मुखर रही और पार्टी की ओर से दो केंद्रीय मंत्रियों को उतारा गया. धर्मेंद्र प्रधान और अनुराग ठाकुर ने मोर्चे को संभाला. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “राहुल गांधी ने एक सार्वजनिक सभा में प्रधानमंत्री जी के सरनेम के साथ अपशब्द जोड़ा था. जातिवाचक शब्द का प्रयोग करके अभद्र भाषा का प्रयोग किया था. इस आरोप पर सूरत कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है, उससे साफ है कि भारत की कानून व्यवस्था और प्रजातांत्रिक पद्धति से ऊपर कोई नहीं है.”


वहीं, अनुराग ठाकुर ने कहा, “भगवान के घर में देर है, अंधेर नहीं. राहुल गांधी कहते थे दुर्भाग्य से सांसद हूं. जो उनको दुर्भाग्य लगता था, आज उससे भी उनको मुक्ति मिल गई. वायनाड के लोगों को भी छुटकारा मिल गया.” उन्होंने ये भी कहा कि बीते 13 सालों में राहुल गांधी ने मात्र 21 चर्चाओं में हिस्सा लिया और एक भी प्राइवेट मेंबर बिल पेश नहीं किया. वह असंसदीय व्यवहार के प्रतीक हैं.


कांग्रेस का अगला प्लान क्या है?


राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होने को लेकर शुक्रवार (24 मार्च) को कांग्रेस ने लगभग 100 नेताओं के साथ मिलकर एक हाईलेवल मीटिंग की. इस मीटिंग में आगे की रणनीति पर चर्चा हुई. इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “देश भर में हम ये मुद्दा लेकर जायेंगे कि राहुल गांधी की जान बूझ कर निशाना बनाया गया है, भारत जोड़ो यात्रा की वजह से बीजेपी परेशान थी, राहुल गांधी को बदनाम करने की कोशिश की गई. भारत जोड़ो यात्रा एक इवेंट नहीं बल्कि एक मूवमेंट बन गया.”


उन्होंने कहा कि हम इसको जन मुद्दा बनाएंगे, हाथ से हाथ जोड़ो अभियान चल ही रहा है लेकिन हम इसको मुद्दा बनाएंगे. इस मुद्दे को लेकर देश में प्रदर्शन शुरू होगा. सोमवार से जोर शोर से देश के हर कोने में इस फैसले के खिलाफ बड़े लेबल पर प्रदर्शन किया जाएगा.


बीजेपी का प्लान


बीजेपी ने भी कांग्रेस को जवाब देने के लिए अपना प्लान तैयार कर लिया है. बीजेपी नेताओं को खास निर्देश दिए गए हैं. इसी क्रम में संसदीय कार्य मंत्री और बीजेपी नेता प्रह्लाद जोशी ने शुक्रवार (24 मार्च) को कुछ प्रमुख ओबीसी नेताओं के साथ बैठक कर मामले को जोरशोर से उठाने का निर्देश दिया. बैठक में करीब 15 सांसद शामिल हुए. संसदीय कार्य मंत्री की ओर से उन सांसदों को निर्देश दिया गया कि ओबीसी समुदाय के अपमान के मुद्दे को मीडिया के माध्यम से जोरशोर से उठाया जाए. इसके बाद, शुक्रवार को ही बीजेपी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी इस मसले पर बात की गई. बीजेपी नेता धर्मेंद्र प्रधान ने भी ओबीसी वाले मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा.


कोर्ट में जाने पर कांग्रेस


कोर्ट में जाने के मामले पर वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “हमें विश्वास है कि दोषसिद्धि पर स्थगन ले लेंगे जो इस अयोग्यता के आधार को ही समाप्त कर देगा. हमें कानून पर पूरा भरोसा है. हमें विश्वास है कि हम निकट भविष्य में विजयी होंगे.” वहीं, इसको लेकर जयराम रमेश ने ने कहा है कि जो कानूनी कदम होगा, उस पर हर कदम उठाया जाएगा, लेकिन जो राजनीतिक है उस पर विचार करेंगे.


क्यों सदस्यता चली गई?


राहुल गांधी को कोर्ट ने 2 साल की सजा दी है. 2 साल या उससे अधिक की सजा पर सदस्यता जाने का प्रावधान है. रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951 के तहत सजा का प्रावधान है. राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट से कांग्रेस के सांसद थे. अब सदस्यता जाने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हो सकता है.


किस कानून के तहत कार्रवाई हुई?


लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, अधिसूचना में कहा गया है कि उन्हें (राहुल गांधी) संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 धारा 8 के तहत अयोग्य घोषित किया गया है.


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