Qutub Minar Controversy: दिल्ली के साकेत कोर्ट (Delhi Saket Court) ने कुतुब मीनार को लेकर डाली गई पुनर्विचार याचिका पर नोटिस जारी किया है. साकेत कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को नोटिस जारी किया. अब साकेत कोर्ट 21 नवंबर को मामले की सुनवाई करेगा. याचिकाकर्ता कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद ने कोर्ट में कुतुब मीनार पर मालिकाना हक को लेकर पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी. 


बता दें कि पहले कुतुब मीनार पर मालिकाना हक के मामले में साकेत कोर्ट ने याचिकाकर्ता कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद की याचिका को खारिज कर दिया था. कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह ने कुतुब मीनार पर मालिकाना हक का दावा करते हुए याचिका दाखिल की थी. याचिकाकर्ता ने कुतुब मीनार की जमीन को पारिवारिक जमीन बताया है. उन्होंने खुद को पक्षकार बनाने की मांग की थी. इससे पहले महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह के वकील 24 अगस्त को हुई सुनवाई में अदालत नहीं पहुंचे थे.


याचिकाकर्ता ने बताया पुश्तैनी जमीन  


महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह का दावा है कि आगरा से मेरठ तक की जमीन पुश्तैनी है. इसलिए कुतुब मीनार के आसपास की जमीन पर निर्णय लेने का अधिकार सरकार के पास नहीं है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण याचिकाओं का विरोध कर रहा है. कुतुब मीनार को 1993 में यूनेस्को (UNESCO) ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था. वर्तमान में कुतुब मीनार परिसर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण में है. एएसआई का सवाल है कि पिछले 150 साल से कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद ने कुछ क्यों नहीं कहा?


कब बना कुतुब मीनार?


कुतुब मीनार देश की प्रमुख ऐतिहासिक इमारतों में से एक है. कुतुब मीनार भारत का सबसे ऊंचा पत्थरों का स्तंभ है. कुतुब मीनार इसके आसपास स्थित कई अन्य स्मारकों से घिरा हुआ और इस पूरे परिसर को कुतुब मीनार परिसर कहते हैं.


दक्षिणी दिल्ली के महरौली में स्थित कुतुब मीनार की ऊंचाई - करीब 238 फीट है.  वहीं इसमें 379 सीढ़ियां हैं. स्तंभ की ऊंचाई का डायमीटर, 9 फीट है तो वहीं उसका बेस 46.9 फीट डायमीटर का है. इसका निर्माण साल 1199 से साल 1220 के दौरान कराया गया. साल 1993 में कुतुब मीनार को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा मिला. 


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