पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में वोटर लिस्ट संशोधन (SIR) के दौरान एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई. लगभग चार दशक से बिछड़ा चक्रवर्ती परिवार अब फिर से मिल गया है. दरअसल, 1988 में बड़े बेटे विवेक चक्रवर्ती का अचानक घर से गायब हो जाना परिवार के लिए सदमे जैसा था. सालों तक उसकी तलाश की गई, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला. लगा था कि यह मुलाकात अब असंभव है, लेकिन SIR अभियान ने वह दरवाजा खोल दिया, जिसे परिवार बंद समझ चुका था. परिवार ने इसके बारे में पूरी जानकारी भी दी है.
SIR के जरिए कैसे हुई मुलाकात?
विवेक के छोटे भाई प्रदीप चक्रवर्ती उसी इलाके के बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) हैं. SIR फॉर्म में उनका नाम और मोबाइल नंबर दर्ज था. विवेक का बेटा कोलकाता में रहता था और अपने चाचा के बारे में कुछ नहीं जानता था. दस्तावेज़ों के लिए उसने प्रदीप को संपर्क किया. बातचीत शुरू में कागजात तक सीमित थी, लेकिन धीरे-धीरे परिवार की गुत्थियां सुलझने लगीं.
विवेक के छोटे भाई प्रदीप चक्रवर्ती ने क्या बताया?
प्रदीप ने बताया, "मेरा बड़ा भाई 1988 के बाद कभी घर नहीं आया. हमने हर जगह ढूंढा. जब लड़के के जवाब हमारे परिवार की निजी जानकारियों से मेल खाने लगे, तब मुझे समझ आया कि मैं अपने भतीजे से बात कर रहा हूं."
विवेक ने SIR को लेकर क्या कहा?
इस तरह 37 साल बाद चक्रवर्ती परिवार का बड़ा बेटा विवेक घर लौट आया. दोनों भाइयों की लंबी खामोशी के बाद भावनाओं का सिलसिला शुरू हुआ. विवेक ने कहा, "37 साल बाद घर लौटकर अपने परिवार से मिलना अवर्णनीय खुशी है. मैं चुनाव आयोग का धन्यवाद देता हूं, क्योंकि SIR प्रक्रिया न होती तो यह मिलन संभव नहीं होता."
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