पुणे: महाराष्ट्र के पुणे में हिंसा के बाद दलित समाज दो लोगों की गिरफ्तारी की मांग कर रहा है और इन दोनों पर हत्या का मुकदमा चलाने की मांग कर रहा है. हिंसा के पहले आरोपी संभाजी भिडे हैं, जो इलाके में हिंदुत्व का बहुत बड़ा चेहरा है. वहीं दूसरे आरोपी मिलिंद एकबोटे हैं, हिंदू एकता मोर्चा नाम का संगठन चलाते हैं.


पुणे हिंसा: महाराष्ट्र में ‘बंद’ खत्म, अभी भी गिरफ्त से बाहर हैं हिंसा के आरोपी

कौन हैं संभाजी भिड़े?

संभाजी भिड़े को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परम आदरणीय और गुरुजी कहा था. इनपर हिंसा भड़काने के आरोप में केस दर्ज हुआ है. माथे पर लंबा टीका और मराठी टोपी और तीखा भाषण इनकी पहचान है. संभाजी भिड़े की सख्शियत ऐसी है कि उनके एक हुक्म पर लाखों युवा इकट्ठा हो जाते हैं.

प्रधानमंत्री मोदी भी संभाजी भिड़े का बहुत आदर करते हैं और उनके संगठन शिव प्रतिष्ठान के कार्यक्रमों में जा चुके हैं. इसी बात से आप संभाजी की हैसियत का अंदाजा लगा सकते हैं.



संभाजी भिड़े महाराष्ट्र के जाने-माने नेता हैं. वह महाराष्ट्र के सांगली जिले के रहने वाले हैं. भिडे कोल्हापुर में शिव प्रतिष्ठान नाम का संगठन चलाते हैं और मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी के अनुयायी हैं. इन्होंने अटॉमिक साइंस में एमएससी की है और  पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में प्रोफेसर भी रह चुके हैं. भिड़े की खास बात ये है कि वो हमेशा नंगे पैर चलते हैं.

भिड़े ने आज तक अपना कोई मकान नहीं बनाया है और ना ही कभी कार से चलते हैं. इन्हीं खासियतों की वजह से संभाजी के लाखों की संख्या में फॉलोवर हैं और उनके एक इशारे पर चार से पांच लाख युवा एक जगह इकट्ठा हो जाते हैं. पुलिस अब तक 85 साल के संभाजी को गिरफ्तार करने में नाकाम रही है.

कौन हैं मिलिंद एकबोटे?

मिलिंद एकबोटे पर भी केस दर्ज हुआ है. आरोप है कि मिलिंद एकबोटे के कार्यकर्ताओं ने भीमाकोरे गांव जा रहे दलितों से हिंसा की. आपको बता दें कि मिलिंद एकबोटे हिंदू एकता मोर्चा नाम का संगठन चलाते हैं. 56 साल के मिलिंद एकबोटे गोरक्षा अभियान चलाने के लिए जाने जाते हैं. बीजेपी से 1997 से 2002 तक पुणे के पार्षद रह चुके हैं. इनका पूरा परिवार आएसएस से जुड़ा हुआ है.

साल 2014 में मिलिंद एकबोटे ने शिवसेना के टिकट पर विधायक का चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे. एकबोटे पर दंगा फैलाने, धमकी देने समेत 12 आपराधिक मामले दर्ज हैं. पांच मामलों में मिलिंद एकबोटे को दोषी करार दिया जा चुका है. पुलिस पर एकबोटे और संभाजी भिड़े दोनों को गिरफ्तार करने का दबाव है लेकिन अब तक पुलिस के हाथ खाली हैं.