नई दिल्ली : एनडीटीवी पर सीबीआई के छापों पर सरकार के सूत्रों को कहना है कि एनडीटीवी पर कार्रवाई यूपीए की सरकार में 2011 में ही शुरु हो गई थी. 5 जून 2017 को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का एनडीटीवी पर छापा उसी कार्रवाई का हिस्सा था.


सूत्रों के मुताबिक इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने डॉ. प्रणय रॉय, राधिका रॉय और एनडीटीवी ग्रुप के द्वारा कंट्रोल कंपनियों के तकरीबन 1600 करोड़ के अज्ञात आय के सिलसिले में ये छापा मारा था. इस मामले में विभाग की जांच 2011 में यूपीए की सरकार के वक्त शुरु हुई थी.


एनडीटीवी के मालिक डॉ. प्रणय रॉय और राधिका रॉय के पास 2006 तक भारत में सिर्फ 2 सहायक कंपनियां थीं. जबकि 2006 से 2012 तक एनडीटीवी ने 32 पेपर कंपनियां जारी की जिसमें 14 विदेशी शेल कंपनियां यूके, नीदरलैंड्स, मॉरीशस, स्वीडेन और यूएई में थी, ताकी 1100 करोड़ का अनअकाउंटेड इनकम इन कागजी कंपनियों में दिखाया जा सके. इन कंपनियों के पास ना ही वास्तविक व्यापार और ना ही कोई कर्मचारी था.


यूपीए की सरकार के दौरान 642.5 करोड़ की छुपाई गई इनकम का मूल्यांकन 21 फरवरी 2014 को किया गया था.


सीबीआई ने 2 जून 2017 को प्रणय रॉय और राधिका रॉय के खिलाफ शिकायत दर्ज की. यह केस एनडीटीवी के शेयर होल्डर और ICICI बैंक की शिकायत पर दर्ज किया गया था.


रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पाया कि फेमा (FEMA) के प्रावधानों का एनडीटीवी के द्वारा 2,030 करोड़ का उल्लंघन किया गया.


क्या है एनडीटीवी का पूरा मामला ?


सीबीआई ने एनडीटीवी के प्रमोटर प्रणय रॉय, उनकी पत्नी राधिका रॉय के खिलाफ केस दर्ज करके दिल्ली से लेकर देहरादून-मसूरी तक छापेमारी की थी. सीबीआई ने छापे के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिलने का दावा भी किया था.


एनडीटीवी पर क्या आरोप हैं ?


सीबीआई के मुताबिक प्रणय राय और उऩकी कंपनी ने एक बड़ी प्राइवेट कंपनी से 500 करोड रुपये का लोन लिया था. इस लोन को चुकाने के लिए उनकी कंपनी ने आईसीआईसी बैंक से 375 करोड का लोन 19 प्रतिशत ब्याज की दर से लोन लिया.


आरोप है कि लोन चुकाने के लिए प्रणय राय की कंपनी ने प्रमोटरो की सारी शेयर होल्डिंग्स को शेयरधारको को बताए बिना गिरवी रख दिया था. आरोप है कि शेयर गिरवी रखे जाने की जानकारी ना तो सेबी को दी गई ना स्टॉक एक्सचेंज को और ना ही सूचना प्रसारण मंत्रालय को.  इन लोगों ने 61 प्रतिशत शेयर गिरवी रख दिए जो बैकिंग एक्ट 19 का भी उल्लघंन है.


इसके अलावा यह भी आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक का लोन भी प्रणय रॉय और उनकी कंपनी नहीं चुका रहे थे जिसके बाद बैंक ने उनसे एक मुश्त लोन चुकाने का फैसला किया और बैंक ने अपनी ब्याज दर 19 प्रतिशत से घटा कर 9 प्रतिशत कर दी जिससे बैंक को 48 करोड़ का नुकसान हुआ. इस मामले में बैंक के भी कुछ अधिकारियों की प्रणय राय को फायदा पहुंचाने के आरोप की भी जांच की जा रही है.



NDTV ने अपनी सफाई में क्या कहा ?


एनडीटीवी ने बयान जारी कर कहा, ”ये आरोप उस एक लोन से जुड़ा लगता है जिसे प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने सात साल साल पहले ही चुका दिया था. ऐसे समय जब कई उद्योगपितयों ने लाखों, करोड़ों रुपये का बकाया नहीं चुकाया है और उनमें से किसी के भी ख़िलाफ़ सीबीआई ने कोई आपराधिक केस दर्ज नहीं किया तब सीबीआई ने न सिर्फ़ एक एफ़आईआर दर्ज की है, बल्कि ऐसे लोन के लिए तलाशी ली है जिसे ICICI बैंक को विधिवत पूरी तरह चुकाया जा चुका है. ऊपर से ICICI भी एक प्राइवेट बैंक है.”


CBI की सफाई, दफ्तर और न्यूज़रूम में जांच नहीं, कोर्ट के वारंट पर ही प्रोमोटर की जांच


सीबीआई ने इन छापों को लेकर सफाई दी और कहा कि एनडीटीवी की ओर से जारी बयान सीबीआई पर आरोप लगाता है. सीबीआई ने अपनी सफाई में मुख्य रूप से चार बातों का जिक्र किया.





    • NDTV के दफ्तर और न्यूज़रूम में जांच नहीं, CBI मीडिया की आजादी का सम्मान करती है.

    • बैंक शेयर होल्डर की शिकायत पर केस दर्ज.

    • सीबीआई की जांच ICICI बैंक को 48 करोड़ का नुकसान पहुंचाने को लेकर.

    • सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश से निजी बैंक से जुड़े मामले में सीबीआई जांच कर सकती है.