Cryptocurrency Bill: संसद सत्र (Parliament Session) शुरू होने से पहले सबसे ज़्यादा नज़रें जिन बिलों पर थीं, उनमें क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) से जुड़ा बिल बेहद अहम था. सत्र शुरू होने से पहले सरकार के रुख से लग रहा था कि बिल को सरकार इसी सत्र में पेश करना चाहती है लेकिन ऐसा नहीं हो सका. आख़िर क्या रही इसकी वजह? माना जा रहा था कि सत्र के दौरान जो कैबिनेट की बैठकें होंगी उनमें इस बिल को मंज़ूरी मिलने के बाद संसद (Parliament) में पेश किया जाएगा. लेकिन अभी तक कैबिनेट ने बिल को अपनी मंज़ूरी नहीं दी है. सत्र ख़त्म होने के बाद जब संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बस इतना कहा कि संबंधित मंत्रालय इस मामले को देख रहा है. 


सरकार के सूत्रों के मुताबिक बिल के उद्देश्यों में कहा गया था कि सरकार प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह बैन लगाकर आरबीआई के लिए एक आधिकारिक डिजिटल करेंसी जारी करने का मार्ग प्रशस्त करेगी. सूत्रों ने इस बात की भी जानकारी दी है कि इस बिल को लेकर सरकार के भीतर इस मसले पर एक राय नहीं बन पा रही है. सूत्रों ने बताया कि पेंच इस बात पर फंसा है कि प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को बैन किया जाए या फिर उसे रेगुलेट करने का तरीका निकाला जाए.


मिली जानकारी के मुताबिक आरबीआई, सेबी और यहां तक कि सरकार भी शुरुआत में क्रिप्टोकरेंसी को पूरी तरह बैन करने के पक्ष में थी लेकिन इस मसले पर हुई प्रधानमंत्री की बैठक के बाद एक राय ये बनी कि बैन करने के बजाए रेगुलेट करना ज़्यादा बेहतर होगा. हालांकि, आरबीआई अभी भी पूरी तरह बैन करने के पक्ष में ही दिखाई दे रही है. इस बात पर भी विचार चल रहा है कि आख़िर रेगुलेट करने का तरीका क्या हो.  


हालांकि सूत्रों का ये भी कहना है कि अभी भी उसके पास दोनों विकल्प खुला हुआ है और दोनों विकल्पों पर मंथन चल रहा है. एक और पहलू जिसके चलते सरकार के भीतर पुनर्विचार शुरू हुआ वो है क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाले लाखों करोड़ों निवेशक. इस बात पर भी मंथन चल रहा है कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाले निवेशकों को इससे निकलने का क्या रास्ता दिया जाए.