नई दिल्ली: कोरोना वायरस के इस खतरनाक दौर में लोगों को जागरुक करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम अपना संबोधन दिया. इस दौरान उन्होंने रामचरित मानस और कबीर की पक्तिंयों का जिक्र किया.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामचरित मानस का उदाहरण देते हुए कहा कि गलती और बीमारी को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए. इसका जबतक पूरी तरह इलाज ना हो जाये, इस कम नहीं समझना चाहिए. जैसा कि लिखा गया है ''रिपु रुज पावक पाप प्रभु अहि गनिअ न छोट करि.''


पीएम मोदी ने कहा, ''संत कबीर दास जी ने कहा है- पकी खेती देखिके, गरब किया किसान, अजहूं झोला बहुत है, घर आवै तब जान.'' अर्थात कई बार हम पकी हुई फसल देखकर अति आत्मविश्वास से भर जाते हैं कि अब तो काम हो गया, लेकिन जब तक फसल घर न आ जाए तब तक काम पूरा नहीं मानना चाहिए. हमें ये भूलना नहीं है कि लॉकडाउन भले चला गया हो, वायरस नहीं गया है. बीते 7-8 महीनों में, प्रत्येक भारतीय के प्रयास से, भारत आज जिस संभली हुई स्थिति में हैं, हमें उसे बिगड़ने नहीं देना है और अधिक सुधार करना है.


प्रधानमंत्री ने कहा कि सेवा परमो धर्म: के मंत्र पर चलते हुए हमारे डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कर्मी इतनी बड़ी आबादी की निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं. इन सभी प्रयासों के बीच, ये समय लापरवाह होने का नहीं है. ये समय ये मान लेने का नहीं है कि कोरोना चला गया, या फिर अब कोरोना से कोई खतरा नहीं है.